सेक्सी दादी और मैं

हैलो दोस्तों, कैसे हो आप सभी? मैं हूं राहुल शर्मा, और लेके आया हूं आप सभी के लिए अपना रियल एक्सपीरियंस एक 68 साल की दादी को लंड पिलाने का।

आज से एक साल पहले तक मैंने कभी भी सेक्स नहीं किया था। लेकिन मेरा मन बहुत करता था। मैं भी सभी की तरह पोर्न विडियोज़ देखता था, और मन करता था कि कोई तो मिल जाए लंड की आग शांत करने के लिए।

मैं हरियाणा से हूं। मेरी संतुष्टि का सिलसिला शुरू हुआ एक छोटे से गांव से। मैं पोलोटेक्नीक खतम करने के बाद एक कंपनी में नौकरी करने लगा, और कंपनी के पास ही गांव में मैंने एक कमरा किराए पे लिया।

जैसा कि आप सभी जानते हो गांव में ज्यादातर महिलाएं कुर्ता और घाघरा पहनती है। इस गांव में 3 महीने कब निकल गए पता ही नही लगा। शुरुआत से ही मुझे 50+ वाली औरतें ही पसंद है, क्योंकि वो संतुष्टि के मामले में बहुत आगे होती है। मानता हूं कि स्टैमिना कम होता है। अब कहानी पे आते है।

गांव में किराना स्टोर बहुत कम होते है, 1-2 ही, और इसी वजह से शाम के टाइम भीड़ भी ज्यादा हो जाती है। मेरी नाइट शिफ्ट चल रही थी उस टाइम पे, और मैं सुबह आने के बाद 1 बजे बिस्तर से उठता था। इसीलिए मैं लंच बनाने के लिए सामान भी उसी समय लेके आया करता था।

मेरी किराना स्टोर वाले के साथ अच्छी जान-पहचान हो गई थी। एक दिन की बात है। मैं कुछ सामान लेने के लिए गया था, और उसी समय दुकानदार को अपने घर के अंदर जाना पड़ा किसी जरूरी काम से 15-20 मिनट के लिए। वो मेरे भरोसे पे दुकान छोड़ के चला गया कि देखना अगर कोई ग्राहक आए तो।

तभी वहां पे एक बुजुर्ग दादी सामान लेने के लिए आई। उनकी उम्र होगी 68 साल के करीब। मैंने उनको भैया के बारे में बताया कि-

मैं: अभी आने वाले थे कुछ समय में। आपको कोई सामान लेना है तो आप मुझे बता दीजिए।

लेकिन सामान उनको देते टाइम वो बैग मेरे हाथों से फिसल गया और उसमें रखे हुए टमाटर बाहर बिखर गए। जैसे ही वो टमाटर को इकट्ठा करने के लिए झुकी, तब पहली बार मैंने उनको अच्छे से देखा। उनके कुर्ते में से उनके टमाटर जो कि 40 साइज के थे, निकल के बाहर आने को बेताब हो रहे थे।

मैं तो बस वो ही देखता रहा। फिर उन्होंने आवाज दी कि बेटा मेरी मदद करो। मैंने भी जल्दी से सारे टमाटर इकट्ठे करने में मदद की, और लास्ट में कुछ मोटे-मोटे टमाटर मैंने उनके बैग में डाल दिए, ये कहते हुए कि बहुत मोटे है आपके टमाटर दादी, ठीक से संभाला करो।

वो भी मेरी बात को शायद समझ गई थी और बोली: बेटा अब तो उम्र हो गई है मेरी, कोई संभालने वाला नहीं है।

उसके बाद वो चली गई वहां से। उनका नाम कविता और साइज 40-34-42 की मोटी गांड और मोटे मोटे चूचे। वाह, मजा आ गया आज तो। उसके बाद धीरे-धीरे मेरी उनसे बातें होने लगी बीच-बीच में, और उन्होंने बताया कि दादा जी को सांस की बीमारी थी, और ज्यादातर बीमार ही रहते थे।

वो अपने छोटे बेटे और बहू के साथ ही रहती थी। उनका किराना स्टोर के पास में ही घर और पशुओं के छोटा सा प्लॉट था। उसके बाद मैंने उनसे बात करके उनके वहां से अपने लिए दूध भी लेने लग गया, और उनको चोदने की इच्छा से उन पर धीरे-धीरे लाइन भी मारने लग गया। कंपनी से आने के बाद बस उनका इंतजार करता था किराना स्टोर पे, और शाम को दूध लाने के समय पे भी उनके साथ काफी समय निकालने लग गया।

वो कुर्ता और घाघरा ही पहनती थी रोजाना, और कोई ब्रा भी नहीं पहनती थी, जोकि मैंने पहले ही देख लिया था। एक दिन की बात है। उनका छोटा बेटा और बहू किसी शादी में गए हुए थे, और घर पे भैंस का दूध निकालने के लिए कोई भी नहीं था। मैं शाम को 6 बजे के लगभग उस दिन पहुंचा था देरी से कंपनी में काम की वजह से।

उन्होंने ने मुझे बोला: बेटा दूध आपको ही निकला पड़ेगा। आज घर पे कोई नहीं है।

फिर मैंने दूध निकाला और उनको दे दिया, साथ में अपने लिए डब्बे में डाल लिया।

फिर उन्होंने बोला: बेटा मौसम खराब है। आज क्या आप हमारी भैंस को अंदर बने कमरे में बांध दोगे क्या?

मैंने भी उनकी मदद की इसमें।

अब शुरू होता है कहानी का असली पार्ट। जैसे ही मैं अंदर गया भैंस को लेके, वो भी पीछे से आ गई तांकि भैंस भागे नहीं। लेकिन इसी बीच भैंस ने छ्तकारा मारा और भागने की कोशिश की। लेकिन इतने में दादी का संतुलन बिगड़ गया और वो गिर गई। मैंने जल्दी से भैंस को बांधा और दादी को उठाने लगा।

मैंने पीछे से कमर को पकड़ा, तांकि उनको सपोर्ट मिले। इसी वजह से उनके मोटे-मोटे चूचे मेरे हाथो में आ गए। फिर मैंने भी बिना देरी किए, बहाने से दोनों चूचे मसल दिए। लेकिन उनको खड़ा करते समय मेरा भी संतुलन बिगड़ गया और हम दोनों फिर से अकेले कमरे में गिर गए।

इस बार वो मेरे ऊपर थी और मैं उनके नीचे। लेकिन इस बार मेरा एक हाथ नीचे ही उनकी चूत के पास दब गया और मैं भी धीरे-धीरे हाथ को निकालने के लिए बार-बार उनकी चूत के ऊपर प्यार से सहलाने लगा। और मेरा मुंह उनकी मोटी-मोटी चूचियों के बीच में सुंगध ले रहा था।

वो भी कई सालों से प्यासी थी, तो उनकी भी कामवासना जागने लगी, और वो भी ऐसा दिखाने लगी जैसे उठना चाहती हों। लेकिन उठ नहीं रही थी। मैं तो बस ऐसे ही पड़े रहना चाहता था तांकि उनकी चूत को अपने हाथ से सहलाता रहूं। फिर धीरे से मैंने अपने हाथ को साइड से निकाल कर उनके घाघरे का नाड़ा खोल दिया और अपना हाथ उनके पेटीकोट में डाल दिया।

क्या गरम चूत थी उनकी, पहली बार मैंने चूत को फील किया था। उसके बाद तो उनसे भी कंट्रोल नहीं हुआ और अपनी चूचियां मेरे मुंह में दबाने लगी। उन्होंने अपने कुर्ते के बटन खोल दिए और मेरी आखों में अलग ही चमक थी उस समय क्या बताऊं आपको। क्या चूचे थे उनके। वाह, वाह, वाह।

मैंने धीरे से उनकी एक चूची के निप्पल को मुंह में भर लिया, और उन्होंने अपनी आंखे बंद कर ली, जैसे काफी सालों के बाद किसी ने छुआ हो।

फिर उसके बाद मैंने अगले 3 घंटे उसी कमरे में गुजारे। क्या हसीन पल थे। आज भी वो शुरुआत मुझे बहुत याद आती है।

इसके बाद मैंने उनको धीरे से गाल पे किस किया, और उनको चेहरे को देखने लगा। बिना कुछ बोले दादी अपनी आंखों से बोल रही थी कि छोड़ा क्यों अभी। और मैं महसूस कर पा रहा था उनकी गर्म सांसों को। फिर क्या था, मैं उनके होठों को अपनो होठों से पीने लगा।

फिर वो बोली: मैं कही भागी नहीं जा रही हूं राजा। अब तेरे साथ ही अपनी चूत का ताला खुलवाऊंगी जो कि पिछले 15 सालों से बंद है।

फिर हम दोनों खड़े हुए और वहां पे रखी हुई चटाई को बिछा दिया भैंसों से थोड़ी दूरी पे। दादी भी गजब का माल थी। मोटी चूची मोटी गांड और गोरा-चिट्टा रंग। इसके बाद फिर से हमारी रासलीला शुरू हो गई। हम दोनों एक-दूसरे की बाहों में हाथ डाल के होठों पे किस कर रहे थे। फिर उनकी गर्दन पे और गर्दन के पीछे किस करने लगा, और उनके कानों को चूसने लगा। दादी मचलने लगी जैसे पहली बार किसी ने छुआ हो।

दादी बोलने लगी: बेटा आज बस मेरी भोंसड़ी को शांत कर दे। बहुत दिनों से तुझे देखने के बाद ये मुझे जीने नहीं दे रही है। कहती है बस लंड की प्यासी हूं।

इसके बाद धीरे-धीरे उनके कुर्ते के बटन खोल दिए, और उनको दोनों रसीले आम उछल के बाहर आजाद हो गए। मैं तो बस टूट पड़ा रस पीने के लिए। वाह क्या मोटे-मोटे और रसीले चूचे थे दादी के। वो भी बस आंखे बंद करके मजे ले रही थी अपनी चूची पिलाने का। और फिर मैंने उनके घाघरे का नाड़ा भी खोल दिया अपने दूसरे हाथ से। अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी चटाई पे लेटी हुई थी। मैंने भी फटाफट अपनी शर्ट और पैंट निकाल दी।

मैं अब अपने अंडरवीयर में था, और मेरा 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड बाहर निकलने के लिए तड़प रहा था और फड़फड़ा रहा था, जिसे कि दादी भी बड़ी गौर से देख रही थी।

वो बोली: अभी बता सकती हूं बेटा तेरा लंड तेरे दादा जी से काफी बड़ा है। आज मुझे भी बुढ़ापे में असली जवानी वाली चुदाई का सुख मिलेगा बेटा। अब बस प्यास बुझा दे मेरी, और मैं तेरी और तेरे लंड की जब तक जिंदा हूं पूजा करूंगी। कभी भी तेरे मोटे लंड को सूखा नहीं रहने दूंगी।

अब मैं उनके पिंक निप्पल पे काटने लगा और दूसरे हाथ से उनकी चूत को सहला रहा था। उनसे कंट्रोल नहीं हो रहा था, और मैं उनकी चूत के पास अपना मुंह लेके गया तो उन्होंने मना किया कि बेटा ये क्या कर रहे हो।

तब मैंने उनको बोला: मेरी प्यारी दादी जान, मैं आपको आज पूरा प्यार दूंगा, जो आपने कभी सपने में भी नहीं देखा होगा।

मैंने अपना मुंह लगा दिया उनकी फूली हुई चूत पे। क्या मजा आया मुझे तो, पहली बार था मेरा। जैसे-जैसे मैं दादी की चूत के दाने पे अपनी जीभ लगाता, तो दादी बस मेरा मुंह अपनी चूत में घुसा देती।

वो अपनी आंखे बंद करके बोली: बेटा तूने मुझे आज सच में जन्नत में पहुंचा दिया। तेरे दादा तो बस आते थे, और मेरे मुंह में लंड डाल के पिलाते थे और चूत भी कम ही मारते थे। उनको तो बस पिलाने से मतलब रहता था अपना लंड मुझे। लेकिन तूने तो बस आज असली चुदाई बता दी मुझे। काश मेरा ब्याह तेरे साथ होता, तो मैं भी अपनी जवानी में मजा ले पाती। खैर अब समय बीत गया वो तो। लेकिन आज से मैं तेरी हूं और तेरा लंड मेरा है। लेकिन तू मुझे कभी भी अपना लंड पीने के लिए मना मत करना। क्योंकि तेरे दादा ने मुझे भी लंड पीने की आदत लगा दी।

फिर थोड़ी देर में वो कसमसाने लगी, और झड़ने लगी। इसके बाद मैंने भी देर ना करते हुए अपना अंडरवियर निकाल दिया, और मेरा लंड जो दादी की बड़ी-बड़ी चूचियों और उनकी बड़ी और मोटी गांड को सलामी दे रहा था, अब आजाद हो गया। फिर क्या था, दादी भी अपने घुटनों पे बैठ गई और मेरे लंड को प्यार से अपने मुलायम हाथों से सहला दिया। मेरे अंदर जैसे करंट दौड़ गया हो।

फिर उन्होंने लंड को धीरे-धीरे चूसना शुरू किया, मेरी तो हालत ही खराब हो गई। मेरे मुंह से बस सिसकारी निकल रही थी, और मैंने दादी के सर को पकड़ कर अपना पूरा लंड उनके गले तक उतार दिया। क्या जन्नत थी। उनके चूसने में मजा आ गया दोस्तों। वाह वाह वाह।

फिर 10 मिनट की लंड चुसाई के बाद मेरा निकलने वाला था, तो मैं जोर-जोर से झटके देने लगा दादी जान के मुंह में, और वो भी समझ गई मेरा होने वाला था। वो पूरा अंदर तक ले रही थी गले तक पूरा गीला करके और थोड़ी ही देर में मैंने उनके मुंह को पूरा भर दिया अपने गाढ़े वीर्य से। वो पूरा निगल गई जैसे दूध की मलाई हो। फिर उन्होंने ने लंड को चाट कर पूरा साफ कर दिया।

लेकिन मेरा दिल तो उनकी चूत से भरा ही नहीं था, और मैंने उनको इस बार कुतिया बना दिया और उनकी गांड भी मुझे साफ दिख रही थी। इस बार मेरे मन में भी उनकी पिंक कलर की गांड को चाटने को आ गया। और वो तो मानो पागल ही हो गई हो थोड़ी देर की गांड चुसाई से।

वो ‌बोली: गांड में भी इतना मजा आता है ये तो आज तक नहीं पता था जान। आज मुझे मजा लेने से पहले ही मार दोगे बेटा जी आप तो।

और वो फिर से मेरे लंड पे टूट पड़ी पीने के लिए। इस बार उन्होंने 1 घंटे तक मेरे लंड को आइसक्रीम की तरह चाट-चाट कर और गले तक गटक कर अच्छे से चूसा, और सारा वीर्य भी गटक गई। लेकिन इस सब में हमने समय देखा ही नहीं क्योंकि अब रात होने लगी थी।

फिर उन्होंने बोला: बेटा अभी जाना पड़ेगा। तेरे दादा को दवाई भी देनी है खाना भी। मैं आज घर पे अकेली ही हूं, क्योंकि दादा तो दवाई लेके गहरी नींद में सो जाते है। तुम आज रात को मेरे घर आ जाना। मैं गेट खोल के रखूंगी मेरे राजा बेटा के लिए, और आज की पूरी रात मैं तेरे लंड को शांत करूंगी और तू मेरी चूत को।

मैंने भी उनको ओके बोला और अच्छे से तैयार रहने को भी। क्योंकि मैं आज उनकी भोंसड़ी का बाजा बजाने वाला था, और उनकी मोटी गांड का ताला खोलने वाला था।

उन्होंने बोला: मैंने गांड आज तक नहीं मरवाई है। लेकिन मेरे राजा बेटे जो मेरी गांड चूसी है, अब तो मेरा भी मन है, और गांड में भी लंड लूंगी।

फिर क्या था, मैं भी निकल गया वहां से, और कंपनी में फोन कर दिया कि मेरी तबीयत खराब है मैं आज ड्यूटी नहीं कर पाऊंगा। उसके बाद मैंने कमरे पे जाने के बाद बाइक लिया अपना और मार्केट से एक पत्ता सेक्स बढ़ाने वाली गोली का लिया, और कुछ स्वीट्स में बर्फी और रसगुल्ले भी लिए। क्योंकि मेरे लिए तो ये सब एंजॉय करने वाले लम्हें आने वाले थे अब से।

लेकिन एक बात तो थी कि दादी को लंड चूसने का शौंक था, बिल्कुल रंडी की तरह लंड चूसा आज उन्होंने मेरा। जो भी कहो मुझे भी आज एक भारी भरकम और भरा हुआ माल मिल गया था, जो मेरे लंड का बहुत अच्छे से ख्याल रखने वाला था।

खैर मैं अब बस इंतजार कर रहा था कब घना अंधेरा होगा, और मैं आज अपने लंड को चूत में, और दादी की मोटी गांड में डाल के चोदूंगा।