ससुर और बहू की सेक्स कहानी निम्न आय वर्ग परिवारों की है. एक आदमी अपने बेटे के लिए लड़की देखने गया तो लड़की वालों ने उसे 2 दिन के लिए रोक लिया और अपनी लड़की को उनकी सेवा के लिए भेज दिया. राम सिंह अपनी बहू के रूप में मीना को देखने गए थे.
मीना को देखकर उनका लंड फंफाना के खड़ा हो गया. रीति रिवाज के अनुसार समधी हरवीर के अनुरोध पर राम सिंह दो दिन के लिए अपने बेटे की ससुराल में रूक गए.
ये दोनों ही परिवार निम्न आय वर्ग के थे तो इनके अपने तौर तरीके थे. रात में मीना अपने होने वाले ससुर की तेल मालिश करने के लिए आई. राम सिंह- तुम्हारा क्या नाम है बेटी?
मीना- मेरा नाम मीना है और आपकी तेल मालिश करने आई हूँ अंकल जी. उसको देखते ही राम सिंह का लंड फंफना उठा और पैर पसारते हुए राम सिंह ने कहा- बहुत सुंदर नाम है. मीना आप धोती कुर्ता उतार दें, वर्ना तेल लग जाएगा.
यह सुनकर राम सिंह ने अपना धोती-कुर्ता उतार दिया और वह चित लेट गया. अंडरवियर में अन्दर दबा हुआ उनका सर्प खड़ा होने लगा.
तेल लगाते हुए मीना के हाथ से लंड का स्पर्श हुआ तो राकेश की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई. और बहू के साथ सेक्स का ख्याल उसके मन में आ गया. मीना बोली- अंडरवियर उतार दीजिए, टांगों के बीच में मालिश करना है. रामसिंह ने अंडरवियर उतार कर हटा दिया.
मीना रगड़-रगड़ कर लंड की मालिश करने लगी. रामसिंह ने उत्तेजित होकर मीना को गोद में बिठा लिया और उसके मुँह में चूमा ले लिया.
साथ ही उसकी छोटी छोटी संतरा जैसी चूचियों को भी मसल दिया. मीना उत्तेजित हो गई और बोली- मुझे अच्छा नहीं लग रहा है.
रामसिंह ने कहा- अरे ऐसा क्यों कह रही हो बहू … हम तो तुम्हें प्यार कर रहे हैं. इस पर मीना कुछ नहीं बोली. राम सिंह ने उसकी नाइटी उतार कर अलग रख दी और छोटे टाइट से एक संतरे को मुँह में रखकर चूसने लगा.
सीमा की चूचियां बड़ी मस्त और रसभरी सी लगीं. अब रामसिंह ने अपने हाथ को सीमा की कुंवारी चूत पर ले जाकर रख दिया और बुर को सहलाने लगा.
मीना भी चुदासी होने लगी थी और वह मजे से अपनी चूत रगड़वाने लगी.
जब मीना कुछ नहीं बोली, तो रमसिंह ने उसकी चड्डी के अन्दर उंगली घुसाई और चूत में उंगली करने लगा. इससे मीना सिसकारी मारने लगी.
रामसिंह ने भी उत्तेजित होकर उसकी चड्डी उतार दी और सीमा को नंगी कर दिया.
वह कुछ न बोली. रामसिंह ने मीना को लिटा दिया और उसकी टांगें फैला कर उसकी नन्हीं से गुलाबी चूत में मुँह लगाकर जीभ की नोक से चूत को चूसने लगा कुरेदने लगा.
मीना ने सिसकारियां भरते हुए बड़े आनन्द से अपने पैर फैला दिया और उसकी चूत से रस निकलने लगा. रामसिंह ने उसकी कमसिन बुर से रस को प्रसाद समझकर पी लिया.
कोरी बुर का पानी बड़े नसीब से पीने को मिलता है. मीना बहू सिसकारियां भरती हुई बोली- मेरी बुर के अन्दर खुजली हो रही है. आप जरा खुजली मिटा दीजिए. रामसिंग ने कहा- मीना बेटा तुम्हारी बुर की खुजली मिटाने के लिए मेरी सुसु को ही अन्दर जाना पड़ेगा!
मीना- हां तो आप जल्दी से अपनी सुसु अन्दर घुसा दीजिए और मेरी बुर की खुजली मिटा दीजिए न! रामसिंह ने भी लंबा और मोटा लंड हिलाया और उसका सुपारा मीना की कुंवारी बुर के छेद में सैट कर दिया.
मीना को लंड का सुपारा किसी आग का गोला सा लगा और वह अपनी बुर को लौड़े से रगड़वा कर कमर चलाने लगी. राम सिंह से रहा नहीं गया तो उसने लंड को चूत की फांकों में सैट करके एक हल्का सा धक्का लगा दिया.
मीना की लिसलिसी चूत में राम सिंह का तीन इंच लंड घुसता चला गया. मीना तड़फ उठी और कराहती हुई बोली- उई मां मर गई … आह मेरी बुर फट गई … आह आप जल्दी से इसे बाहर निकालिए … मेरी बुर में दर्द हो रहा है. रामसिंह के ऊपर शैतान सवार हो गया था.उसने मीना की बातों को अनसुना करते हुए एक और धक्का मारकर अपना पूरा लंड बुर के अन्दर ठोक दिया. बिछावन पर खून की धारा बह गयी. मीना ‘ऊई मां … ऊई मां.’ कहकर रोने लगी.
लेकिन राम सिंह ने उसका मुँह बंद कर दिया था. इस वजह से उसकी आवाज दब गई. रायसिंह ने अपनी कमर हिलाते हुए अपने लौड़े को मीना की चूत में सैट करते हुए कहा- तुम हमारी होने वाली बहादुर बहू हो और इतने से दर्द से डर गई. बोलो खुजली मिटी न? मीना बोली- हां, खुजली तो मिट गई लेकिन बुर में बहुत दर्द हो रहा है.
रामसिंह ने समझाते हुए कहा- जब खुजली मिट गई, तो दर्द भी मिट जाएगा. देख लेना अभी तुम खुद ही बताओगी. वही हुआ.
मीना पांच मिनट के बाद बोली- हां अब दर्द ठीक हो गया है, लेकिन बुर के अन्दर बड़ी गुदगुदी हो रही है. उसके मुँह से यह सुनकर रामसिंह खुश हो गया और उसने मीना को दनादन चोदना शुरू कर दिया. मीना खुश होकर बोली- आह सच में बहुत मजा आ रहा है … और जोर-जोर से धक्का मारिए न! रामसिंह ने भी उसकी एक चूची को अपने मुँह से चूसते हुए लंड अन्दर बाहर किया और बोला- मेरी होने वाली बहू … अब सब ठीक हो जाएगा और तुम्हें आगे से बहुत मजा आएगा. मीना अपनी गांड उठाती हुई बोली- हां, बहुत मजा आ रहा है ! आप तो बस दनादन धक्के मारिए और मेरी बुर को चोदकर फाड़ दीजिए … ओह आह … बहुत मजा आ रहा है … आह और जोर से धक्का मारिए … आह आह ओह ओह.’
यही सब कहकर मीना सिसकारियां भरने लगी. राम सिंह ने भी दनादन बुर में एक्सप्रेस मेल से चोदते हुए कहा- मेरी प्यारी बहू … सच में कितनी सुघड़ है. वह फचाक फचाक धक्के देता हुआ अपनी होने वाली बहू की सीलफाड़ चुदाई करने में मशगूल हो गया.रामसिंह ने मीना को चोदते हुए उसके मुँह, गाल और चूची को खूब सहलाया. वह बोला- मेरी दुलारी बहू … ले अपने ससुर के लंड का स्वाद ले ले. चूत और लन्ड की फच फच की आवाज से कमरा गूंजने लगा. कुछ समय बाद रामसिंह झड़ने को हुआ और उसने अपना सारा वीर्य सीमा की बुर में डाल दिया.
कुछ देर के बाद राम सिंह मीना की चूत से लंड खींच कर उठ गया और उसने मीना की पीठ थपथपाकर उसकी हौसला अफजाई की. फिर रामसिंह ने अपने गमछा से अपना लंड और सीमा की बुर को पौंछकर कहा- मेरी होने वाली बहू, जाओ तुम पास हो गई. मीना के उठते ही रामसिंह ने अपना अंडरवियर पहना; फिर धोती कुर्ता भी पहन लिया.
तब मीना ने भी अपनी चड्डी पहन ली और नाइटी पहन कर खड़ी हो गई. मीना ने खुशी से अपने ससुर के पैर छुए और उन्हें प्रणाम करके बाहर निकल गई.
राम सिंह भी अपने लंड को सहलाता हुआ अपनी होने वाली बहू मीना को अपनी पतली कमर लचकाते हुए जाती हुई देखता रह गया. सुबह अपने समधी रघुवीर से बातचीत करके राम सिंह ने अपने बेटे सोहन का रिश्ता मीना से तय कर दिया.
एक सप्ताह बाद बिना दहेज लिए शादी हो गई. शादी के दूसरे दिन रामसिंह के घर के लोग बहू मीना को विदा करवा कर गांव से उधार लिए एक ऑटो से घर लाने लगे. उनके साथ दूल्हा बना सोहन, दुल्हन बनी बहू मीना भी थी और रामसिंह खुद ड्राइवर बनकर ऑटो चलाने लगा.
उन्हें चलते-चलते शाम हो गई. उस रात की चुदाई याद करके राम सिंह का लंड टनटना कर खड़ा हो गया, वह अपने लंड को सहलाने लगा. ये उसकी नई नवेली बहू मीना ने भी देख लिया.
उसकी चूत भी रामसिंह के मोटे लंड से चुदने के लिए कुलबुलाने लगी. वह अपनी पति सोहन से बोली- ए जी, बाबू जी ऑटो चलाते हुए थक गए लगते हैं. आप आगे जाकर ऑटो चलाइए न. बाबू जी पीछे बैठकर आराम कर लेंगे. सोहन आगे बैठ कर ऑटो चलाने लगा और उसका ध्यान ऑटो चलाने में था. पीछे राम सिंह ने अपना लंबा मोटा लंड निकाल कर बहू के हाथ में दे दिया. मीना अपनी चड्डी निकाल कर अपनी चूत का मुँह रामसिंह के लंड पर रखकर बैठ गई.
रामसिंह ने धीरे-धीरे धक्का लगाते हुए पूरा लंड फचाक से अपनी बहू की चूत में डाल दिया. सड़क खराब होने का मजा अब चुदाई में ससुर बहू को आ रहा था.
हर गड्डे में आने से ऑटो उछलता और गिरता, जिससे ससुर बहू के लंड चूत आपसे में खूब रगड़ते. फचाक-फचाक करते हुए लंड आसानी से बहू की चूत में जा रहा था. ससुर ने अपना हाथ बहू के संतरों पर रख दिया और वह बहू की दोनों संतरों को मस्ती से मसलने लगा. अब अंधेरा भी हो गया था और ससुर बहू दोनों आसन बदल बदलकर चुदाई में मस्त हो गए थे. वे दोनों चुदाई में इतना व्यस्त थे कि कब घर आ गया, पता ही नहीं चला. जब सोहन ने कहा पापा जी, घर आ गया है. तब जाकर होश आया. राम सिंह ने कहा- सबको बोलना होगा, जाकर अन्दर खबर कर दो कि बहू आ गई है. सोहन खुशी से चिल्लाते हुए अन्दर जाकर बोला- बहू आ गई है.
उतनी देर में ही राम सिंह ने अपना धोती और अंडरवियर ठीक कर लिया.
बहू ने भी अपनी चड्डी पहन ली और साया- साड़ी ठीक कर ली. घर की महिलाएं खुशी से बाहर निकल बोलीं कि हमारी चाँद सी बहू आ गई. राम सिंह मुस्कराता हुआ ऑटो से उतरकर अपनी मूंछ पर ताव देने लगा. बहू को आदर सत्कार के साथ अन्दर ले जाया गया.
सोहन की सुहागरात की तैयारी होने लगी. सब रीति रिवाज करके बहू को अन्दर भेज दिया गया. राम सिंह सुहागरात का मजा लेने के फिराक में लग गया. सुहागरात वाले कमरे के बगल में राम सिंह का कमरा था और उसके बीच में एक दरवाजा भी था जो जानबूझकर थोड़ा खुला छोड़ दिया गया था. रात में सोहन कमरे में अन्दर जाकर बहू को प्यार करने लगा और एक-एक करके उसने अपने और बहू के साड़ी, ब्लाउज और चड्डी उतार दिए.
वह अपना लंड हाथ में लेकर हिलाने लगा और उसे सहलाने के लिए मीना के हाथ में दे दिया. मीना नाखुश होकर बोली- आपको जो करना है, जल्दी से कर लो.
सोहन भी चुम्मा चाटी करके अपना लंड चूत में डालकर चोदने लगा. बहू की तरह लेट गई और उसने अपनी टांगें फैला दीं.
वह चुदवाती हुए पूछने लगी- आपके घर में कितने सदस्य हैं? सोहन बोला- बस मैं और बाबूजी दो ही आदमी हैं. अब तुम बहू बन कर घर में आ गई हो तो तीन आदमी हो गए. बहू ने मुस्कराकर बोला- आपके बाबूजी कहां सोते हैं? सोहन ने बगल वाले कमरे को दिखाकर कहा- उस कमरे में सोते हैं … और बीच में एक दरवाजा भी है. जब उन्हें जरूरत होती है तब बाबू जी आवाज लगाते हैं, तो तुम उनके कमरे में चली जाना. यह सुनकर मीना बहुत खुश हो गई और बोली- तुमको बुरा नहीं लगेगा? सोहन बोला- बाबूजी बूढ़े हो गए हैं, इसलिए शादी करके तुमको लाया गया है. उनके हाथ-पैर में बहुत दर्द रहता है. इसलिए मोहल्ले की एक लड़की हाथ-पैर दबाने के लिए रोज आती थी. अब वह नहीं आएगी, बाबू जी के हाथ-पैर दबाने के लिए अब तुम जो आ गई हो. इतना कहते ही सोहन झड़ गया। सोहन की तरफ से चुदाई खत्म हो गई थी लेकिन सीमा की चूत राम सिंह के बड़े लौड़े के लिए तड़फ रही थी. मीना बोली- अरे हां, आज तो बाबूजी थक गए होंगे तो उनके हाथ-पैर में तेल लगाना था, अच्छी सेवा करने का मोका मिल गया है. तो क्या मैं जाकर उनके हाथ-पैर में तेल लगा दू ?
सोहन ने प्यार से सीमा को गले लगाया और बोला- हां जाओ न, नेकी और पूछ-पूछ!बहू मीना खुश होकर कमर लचकाती हुई दूसरे कमरे में चली गई.
उसने देखा कि ससुर जी का लंड फन फना रहा था. वह ससुर के लंड पर तेल लगाकर अपनी प्यासी चूत के छेद पर रखकर बैठ गई. राम सिंह के लंड ने बहू की चूत का रास्ता देखा सुना था, सटाक से जड़ तक घुस गया. अन्दर घमासान ससुर बहू सेक्स … चुदाई हो रही थी और इधर सोहन खुश था कि बाबूजी की सेवा हो रही है.
चुदाई खतम होने के बाद बहू सोहन के पास सोने चली गई. सुबह-सुबह सब लोग सोहन को सुहागरात की बधाई देकर सभी अपने-अपने घर चले गए.
घर में तीन आदमी रह गए. रामसिंह, सोहन और बहू मीना. ससुर और बहू दोनो के सेक्स के सहारे मस्ती से दिन गुजरने लगे.
राम सिंह ने अपनी बहू मीना को चोद चोद कर अपनी रांड बना लिया था, उसे सोहन के लंड से चुदने में मजा ही नहीं आता था. फिर नौ माह के बाद मीना की चूत से एक सुंदर सा बच्चा पैदा हुआ.
सोहन खुश हुआ कि बच्चा मेरे लंड से पैदा हुआ है. उधर रामसिंह की खुशी का भी ठिकाना नहीं था.
सभी लोग बधाई देने के लिए आने लगे और कहने लगे कि बच्चा तो अपना दादा पर गया है. बहू मीना ने खुश होकर सिर पर आंचल रख लिया. यह ससुर बहू की सेक्स की कहानी पढ़कर आपका मन मोहित न हुआ हो तो कहना