टेलर मास्टर से ब्लाउज सिलवाया- 2

लेडीज़ टेलर ने मेरी गांड मारी मेरे ही घर में! उसने मेरा बहुत सेक्सी ब्लाउज सिला तो शुक्राने में उसने मेरा जिस्म मांग लिया. उसका लंड तो मैं पहले ही चूस चुकी थी. मैंने चूत गांड भी मरवा ली.

कहानी के पहले भाग
टेलर मास्टर का लंड चूसा
में आपने पढ़ा कि मेरे दोस्त ने मुझे एक दरजी के पास भेजा ब्लाउज सिलवाने के लिए. वह भी मेरे दोस्त के जैसे चालू था, उसने मुझे अधनंगी करके अपना लंड मेरे से चुसवाया.

अब आगे कैसे लेडीज़ टेलर ने मेरी गांड मारी:

बेटी चारु के सोने के बाद मैं बगल वाले कमरे में आ गई जो कि हम लोगों ने गेस्ट रूम के तौर पर रखा था।

मैं बेड पर जाकर इस तरह बैठी कि जैसे कोई नई नवेली दुल्हन बैठी हो.
मैंने अपने दुपट्टे से घूंघट ले लिया.

जसवन्त कमरे में आया, उसने मुझे दुल्हन सा बैठा देखा तो मेरे पास बेड पर आ गया.

उसने कहा- मैंने कभी सोचा ही ना था कि पहली बार में मैं इस तरह तुम्हारे साथ मिलूंगा.
मैं एकदम शांत थी.

उसने मेरा घूंघट उठाया तो मैं शर्मा गई और अपने चेहरे को झुका कर छिपा लिया.
इस पर वह बोला- मैडम, शर्माना छोड़िए। मैं इस चेहरे को देखने के लिए कुछ भी कर सकता हूं.

जसवन्त ने मेरे हाथों को मेरे चेहरे से अलग कर दिया.
मैं एक कातिलाना मुस्कान से उसकी ओर देख रही थी.

उसने मेरे हाथों को दोनों हाथों को एक साथ लेकर चूमा और कहा- आज मैं वाकयी बहुत खुशनसीब हूं कि आज तुम मेरे साथ हो. मैंने कभी जिसके बारे में सोचा तक ना था, वो मेरी माशूका बन रही है.

ये कह कर जसवन्त आगे बढ़ा और उसने मेरे होंठों पर हल्का सा चूम लिया.
मैं शर्मा गई और मैंने अपने आपको उसके हवाले कर दिया.

उसने मेरी दुपट्टे को मेरे सर से नीचे गिरा दिया और मेरे बालों को हाथ लगाते हुए बोला- इस रूप में आज तक मैंने तुम्हें अपने इतने करीब नहीं देखा.

मैंने उसके हाथों को बालों से अलग किया.
उसने अपने हाथों को मेरे पैरों की उंगलियों पर रख दिए और सहलाने लगा.
मैं बस शर्मा रही थी.

वह मेरे गोद में सर रखकर लेट गया और हम दोनों बात करने लगे.
बीच बीच में वह मेरे चेहरे को, तो कभी बालों को, तो कभी मेरे मम्मों पर हाथ फेर देता और मैं अदा के साथ उसके सामने शर्मा जाती.

फिर वह उठा और बोला- मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहता हूं.
उसने मुझे भी बेड से नीचे उतरने के लिए कहा.

मैं उतरने लगी तो जसवन्त ने उतरने में मेरी मदद की.

वह मेरा हाथ पकड़कर मुझे कमरे में लगे दर्पण के सामने ले गया.

जसवन्त ने मुझे शीशे के सामने खड़ा कर दिया और मेरे पीछे खड़े हो गया, पीछे से मेरे हाथों पर हाथ रखकर सहलाने लगा.

मैं बोली- जसवन्त भाई … आज की मेरी मुँह दिखाई कहां है?
इस पर वह बोला- कुछ देर में वो भी तुम्हें दे दूंगा, जो तुम्हें जीवन भर याद रहेगा. तुम उस इनाम को कभी नहीं भूल पाओगी.
उसने आईने की तरफ देखकर कहा.

मैं भी आईने की तरफ से उन्हें देख रही थी.

जसवन्त ने कहा- आखिर मैं इस चेहरे को इतना प्यार करता हूं, इसके लिए मैं सारी हदें भूल चुका हूँ. आज इस हूर को मैं एक ऐसी गिफ्ट दूंगा जो तुम्हारे साथ जीवन भर रहेगी.

उसने मेरे बालों को छितरा दिया और हाथों से बालों को आगे की ओर करके मेरी गर्दन पर किस करना चालू कर दिया.
मैं तो उसकी उसके इस किस करने के तरीके से एकदम से मचल गई और अपने हाथों को उसके हाथों से अलग करने लगी.

लेकिन उसकी पकड़ कुछ ज्यादा ही मजबूत थी.
मैं जसवन्त जी खुद को छुटा ही ना पाई.

इस प्रकार हमारी किस से शुरुआत हुई.

उसने आगे बढ़ते हुए मेरे बैकलेस ब्लाउज को अपने होंठों से छुआ.
मेरी पीठ एकदम नंगी थी.

जसवन्त ने मेरी नंगी पीठ पर किस करना शुरू कर दिया.
अभी भी वह मेरी पीठ पर किस कर ही रहा ठा और अपने दोनों हाथों से मेरे हाथों को भी पकड़े हुए था.

हमारे किस का सिलसिला कुछ समय लेते हुए चल रहा था.
वह और नीचे आया.

जसवन्त ने अब मेरी कमर पर भी किस करना चालू कर दिया.
मेरी तो चूत में पानी आना चालू हो गया था.
मुझसे रहा भी नहीं जा रहा था और सहा भी नहीं जा रहा था.

तभी वह ऊपर की ओर हुआ और उसने मुझे अपनी ओर घुमा लिया.

मेरे बालों को पीछे करते हुए मेरी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया.
जसवन्त की इस अदा से मैं उस पर फिदा हो गई.

कुछ समय बाद वह और नीचे आ गया.
उसने ब्लाउज के ऊपर से मेरे मम्मों पर किस किया तो मैं गनगना उठी.

फिर जसवन्त ने मेरी कमर पर सर रखकर कुछ देर आराम किया और एक-दो किस भी की.

इसके बाद जसवन्त मेरे चेहरे की ओर बढ़ा.
उसने मेरे चेहरे पर किस करते हुए मेरे माथे, आंखों और मेरे होंठों पर भी किस किया.

मैं तो बस उसकी ओर देख रही थी कि कितना शांत किस्म का मर्द है यह आदमी … और कोई होता तो अब तक झपट्टा मारकर मेरे जिस्म को नौचने लगता.

जसवन्त की इसी अदा पर मुझे उस पर प्यार आने लगा था.
इतना प्यार तो मेरे पति ने भी मेरी सुहागरात पर नहीं किया था.

अब उसने मेरे सारे गहने वहीं उतारना चालू किया.
वह एक एक गहने को उतारकर उस जगह को किस करता.

फिर जसवन्त मेरे आगे आया और मुझे अपनी गोदी में उठा कर बेड की ओर ले गया.

जब जसवन्त ने मुझे अपनी गोदी में उठाया तो मैं शर्मा गई.
मैंने अपने दोनों हाथ हवा में कर दिए थे जो हवा में लहरा रहे थे.

हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा भी रहे थे, आंखों ही आंखों में बातें हो रही थीं.

मुझे लेकर जसवन्त ने बेड पर डाल दिया.
बेड पर गिरते ही मैं घूम गई और मेरी पीठ उसकी ओर करके मैं मुस्कुराने लगी.

मैं उसकी ओर देखने लगी और उन्हें आंखों से इशारा दिया कि आइए आपकी वसुंधरा आपका इंतजार कर रही है, मना लीजिए सुहागरात अपनी प्यारी वसुंधरा के साथ!
जिसका हम दोनों को कब से इंतजार था.

वह तुरंत ऊपर से मेरे पीठ पर आया, मेरे बालों को एक साइड करके उसने मेरे बैकलेस ब्लाउज की डोरी को पीछे से खोल दिया.
मैंने अपनी नजर सामने की ओर कर ली.

जसवन्त मेरी पूरी पीठ पर हाथ को घुमाते सहलाते हुए नीचे ले गया.
वह मेरी कमर को सहला रहा था और फिर वह मेरे लहंगे के ऊपर से मेरे पैरों की ओर आने लगा.

जसवन्त मेरे लहंगे को मेरे घुटने तक लाने लगा.

मैंने लहंगे के अन्दर कुछ नहीं पहना था तो मुझे अब शर्म आ रही थी.
इसलिए मैं जल्दी से पलट गई और अपनी बांहें फैला दीं.

वह जल्दी से मेरे ऊपर आ गया और उसने सीधे मेरे होंठों पर होंठ रख दिए.
हम दोनों के बीच स्मूच चालू हो गया.

कब मेरी और उसकी जीभ आपस में मिल गईं, इस बात का पता ही नहीं चला.

हम दोनों कब एक दूसरे के ऊपर नीचे होते रहे, कोई होश ही नहीं था.
इस दौरान हमारा स्मूच बदस्तूर चलता रहा.
उसके हाथों से मेरी पीठ, चेहरे और मेरे मम्मों को दबाना चलता ही रहा.

काफी समय बाद हम अलग हुए.
मैंने देखा कि उसके चेहरे पर मेरी लिपस्टिक लगी थी.
मैं मुस्कुरा रही थी.

जसवन्त ने अब मेरे ब्लाउज को मेरे हाथों से अलग कर दिया.
मैं अपने मम्मों के ऊपर हाथ रखकर उन्हें छुपा रही थी क्योंकि मैंने ब्रा नहीं पहनी थी.

अब वह नीचे आ गया और मेरे लहंगे को नीचे से खींचकर अलग कर दिया.
मैं एक हाथ से अपने मम्मों को ढके थी और एक हाथ से नीचे अपनी चूत को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी.

जसवन्त बेड से नीचे उतरा और उसने जल्द ही अपने सारे कपड़े भी उतार दिए.

वह मेरे पास आया और मेरे सारे शरीर को फिर से किस करने लगा.
वह मुझे पलटाकर भी किस कर रहा था.

मेरे बाल पूरे बिखर चुके थे.
हम दोनों एक दूसरे के शरीर की गर्मी का अहसास कर रहे थे.

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था; मैंने कहा- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा … आप डाल दीजिए.

इस पर जसवन्त ने जल्दी से मेरी टांगों को फैलाया और बीच में आ गया
जसवन्त मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा.

वह मेरे दोनों हाथों को पकड़कर बोला- अब हमारा पूरा मिलन होने का पल आ गया.
बस इतना कहा और जसवन्त ने एक झटका दे मारा.
उसका आधा लंड मेरे अन्दर चला गया.

मेरे चेहरे पर दर्द भरी मुस्कान थी.

उसने एक और झटका जोर से मारा, उसका पूरा लंड मेरी चूत में चला गया.
मैं थोड़ा तिलमिलाई लेकिन इतना उसके झटके को सह गई.

फिर क्या था … उसने धीरे-धीरे अपना लंड चूत में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
मुझे भी मज़ा आने लगा, मैंने उसको भी झटके देना शुरू कर दिए.

उसने मेरे हाथों को छोड़ दिया और मैंने अपने हाथों से उसकी कमर को पकड़ लिया.

जसवन्त के धक्कों की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी.
मैं अपनी गांड उठाते हुए मजा ले रही थी और कह रही थी- आह और जोर से … और जोर से!

सारा कमरा हमारी कामुक आवाजों की वजह से गूंजने लगा था.
लंड चूत की टकराहट से फच फच की आवाज बढ़ती जा रही थी.

हमारी चुदाई का कार्यक्रम करीब 20 मिनट तक चला होगा.

जसवन्त बोला- वसुंधरा, मेरा निकलने वाला है.
मैंने कहा- तो निकाल दीजिए न … किसने रोका है!

वह मुझे चूमते हुए सटासट चुदाई में लग गया और मेरी चूत में ही अपने लंड के माल को निकाल कर मेरे ऊपर निढाल हो गया.

हमारा पहला दौर पूर्ण हो गया था.

करीब 10 मिनट आराम करने के बाद जसवन्त का लंड फिर से तैयार हो गया.

जसवन्त भाई ने मुझे पेट के बल लिटाया और मेरे ऊपर आ गया। अब वह मेरे कानों पर चुम्बन करने लगा और मुझे धीरे धीरे गर्म करने लगा।
कुछ ही देर में मैं भी मूड में आ गई और जसवन्त को किस करने लगी।

जसवन्त भाई ने अपना अंगूठा मेरे मुंह में डाल दिया और मैं उसे गीला करने लगी।

अंगूठा ठीक से भीगने के बाद उसने उसे निकाल लिया और फिर मेरे नितम्बों को सहलाने लगा।
धीरे धीरे उसकी उंगलियां मेरी गांड के छेद पर आ टिकी।

मेरे पीछे के दरवाजे पर थिरकती उसकी उंगलियां मेरी उत्तेजना बढ़ा रही थी।
मैं उसके इरादे भांप गई थी और जरा सा डर भी लग रहा था क्योंकि ये प्रक्रिया दर्द देने वाली होती है।

मैं- जसवन्त भाई, प्लीज पीछे मत करिए, बहुत दर्द होता है।
जसवन्त भाई- मैडम, आपको जरा भी तकलीफ नहीं होगी यह हमारा वादा है, हम इतने सलीके से आपकी गांड मारेंगे कि आपको मजा आ जायेगा।

मैं- प्लीज जसवन्त भाई, मान जाइए, मुझे दर्द होता है।
जसवन्त भाई- देखिए मैडम, गांड मारे बिना चुदाई पूरी नहीं होती. और आप जैसी मदमस्त मादा की गांड मारकर तो हम खुद पर नाज करेंगे।

मैं- लेकिन वहां बहुत गंदा होता है, आपका लंड गंदा हो जायेगा जसवन्त भाई।
जसवन्त भाई- उसकी फिक्र न करें मैडम, मैंने कॉन्डम इसीलिए खरीदे थे।

मैं अब भला क्या कहती।
मैंने खुद को उसके सुपुर्द कर दिया।

जसवन्त भाई ने दो तकिए मेरे पेट के नीचे रखे और फिर अपने होंठ मेरे नितम्बों पर टिका दिए।

वो मेरे गद्देदार नितम्बों को अपने दांतों से कुरेद रहा था और मेरी गांड पर अपनी जीभ फिरा कर उसे गीला कर रहा था।

मैं आंनद की सिसकारियां ले रही थी और जसवन्त भाई की जीभ मेरे गुदा द्वार को कुरेद रही थी।

इस तरह गीला करने के बाद जसवन्त भाई ने मुझे कॉन्डम निकालने को कहा।
मैंने कॉन्डम निकाला और जसवन्त भाई के लंड पर पहना दिया और फिर पेट के बल लेट गई।

जसवन्त भाई ने मुझे कुतिया बना दिया और मेरे पीछे आ कर अपना लंड मेरी गांड पर रगड़ने लगे।

उसने मेरे गद्देदार नितम्बों पर चपत लगाई तो मुझे मीठा मीठा दर्द हुआ और मेरे मुंह से कामुक सिसकारी निकल गई।

जसवन्त भाई ने अपना बायां हाथ मेरी कमर पर रख दिया और अपने दाएं हाथ से लंड को पकड़ कर मेरी गांड में घुसाने लगा।

मेरी गांड टाइट थी इसलिए खुली नहीं तो जसवन्त ने कहा- मैडम जरा साथ दीजिए, आपकी गांड बड़ी कसावट वाली है।

मैंने अपने दोनों हाथों से अपने नितम्ब थोड़े खोल दिए और जसवन्त भाई ने अपना लंड मेरी गांड में घुसेड़ना शुरू किया।

कुछ जोर लगाने के बाद उसका लंड मेरी गांड के छल्ले में उतर गया और मुझे तेज दर्द हुआ- आह, जसवन्त भाई, मार डाला, उफ्फ बहुत दुख रहा है, प्लीज निकाल लीजिए।
जसवन्त भाई- रुकिए मैडम, हम हैं ना!

यह कहकर उसने मेरी योनि को रगड़ना शुरू कर दिया।
कुछ देर तक मेरी चूत पर हाथ फिराने के बाद उसने मुझे दर्द से राहत पहुंचाई।

मेरे नॉर्मल होते ही उसने मुझे झटका दिया और अपना आधा लंड अंदर तक डाल दिया।
कॉन्डम की वजह से वो फिसल कर अंदर चला गया और मेरी चीख निकल गई।

जसवन्त भाई ने मेरा मुंह बन्द कर दिया और फिर से एक धक्का लगाया।
मेरी आंखें फैल गई और उसमें दर्द के आंसू आ गए और मैं ऊंह ऊंह कर के रोने लगी।

जसवन्त भाई ने लंड अंदर ही रखा लेकिन उसने मुझे सहलाना जारी रखा।
कुछ देर में जब मेरा रोना रुक गया तो उसने मेरा मुंह छोड़ा और फिर धीरे धीरे अपना लंड आगे पीछे करने लगे।

कुछ देर बाद मुझे मजा आना शुरू हो गया और मैं उसका साथ देने लगी।
मेरी गांड बहुत कसी हुई थी और ये पहली बार था जब किसी ने मेरी गांड मारी थी।

अब मैं घुटनों के बल बैठ गई, जसवन्त मेरे पीछे चिपका हुआ था.
उसने अपने दोनों हाथों में मेरे दोनों स्तनों को भर लिया।

अब वह जोर जोर से मेरे स्तन मसल रहा था और धीरे धीरे से मेरी गांड मार रहा था।
थप थप की आवाज मेरे मुलायम चूतड़ों से निकल रही थी।

मैंने अपनी गर्दन घुमाई और एक हाथ से जसवन्त भाई के सर को पकड़ लिया और उसे किस करने लगी।
ऊम्म्ह … ऊंह … ऊऊउम्ह!

मैंने बेड के किनारे को दोनों हाथों से पकड़ लिया और कुतिया बन गई।
जसवन्त ने मुझे मेरे बालों से पकड़ा और फिर लगा धक्के लगाने।
उसके धक्के, मेरी आहें और थपकी की आवाज कमरे में गूंज रही थी।

मेरी गांड बहुत कसी थी और जसवन्त को भी बहुत दबाव महसूस हो रहा था।
इसलिए वह ज्यादा देर तक नहीं टिका और 5 मिनट में ही झड़ गया।

हम दोनों ही हांफ रहे थे।
जसवन्त ने अपना लंड निकाला तो कॉन्डम में उसका वीर्य भरा हुआ था।
उसका लंड मुरझा गया था।

इस तरह से लेडीज़ टेलर ने मेरी गांड मारी!

जसवन्त भाई- वसुंधरा, अब ये कॉन्डम का क्या करना है?
मैं- उतार दीजिए, इसे कूड़े में फेंक दूंगी।
जसवन्त भाई- आपने पहनाया था इसलिए आप ही इसको उतारिए।

मैंने कहा- चलिए!
और मैं जसवन्त को लेकर बॉथरूम में आ गई और उसके औजार से कॉन्डम निकाला और फ्लश कर दिया।

इसके बाद मैं कमोड पर बैठ गई और सुसु करने लगी।
जसवन्त मेरे पास ही खड़ा था।

जसवन्त भाई को शरारत सूझी- मैडम, हम भी हल्के होना चाहते हैं।
मैं भी इस वक्त मूड में थी, मुझे आशुतोष भाई की शरारत याद आ गई।

मैंने उसका लंड पकड़ा और खड़ी हो गई और कहा- मेरी चूत पर कर लीजिए जसवन्त भाई!

जसवन्त ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मैं उसके लंड से चिपक गई।

उसका गर्म पेशाब मेरी चूत पर से बहकर नीचे मेरी जांघों को भिगा रहा था और हम दोनों एक दूसरे को चूमते हुए इस लम्हे का मजा ले रहे थे।

इसके बाद मैंने शावर चालू कर दिया और खुद को साफ करने लगी और जसवन्त भी मेरे पास ही आ गया।

कब खुद को साफ करते हुए हमारे हाथ एक दूसरे के जिस्म को सहलाने लगे ये पता ही नहीं चला।
हमारे बदन पर गिरती ठंडी पानी की बूंदें हमारी उत्तेजना को बढ़ा रही थी।

जसवन्त ने इस मौके का भरपूर इस्तेमाल किया और मुझे एक बार फिर से शावर के नीचे चोदा।

इसके बाद हम दोनों बहुत थक गए थे इसलिए बेडरूम आकर एक दूसरे से लिपट कर सो गए।

सुबह 6:00 बजे जब हमारी नींद खुली, तब वह मेरे मम्मों के ऊपर मुँह डाले सोया हुआ था.

मैं उठी और बाथरूम में जाकर फ्रेश होने के बाद तैयार होने लगी.

मैंने उसे भी उठाया और मुझे थोड़ा प्यार करने के बाद वह अपने घर चले गया.

इस तरह हमारी पहली मिलन की रात पूरी हुई जिसमें काफी मजा आया.

तो दोस्तो, कैसी लगी आपको यह कहानी जिसमें लेडीज़ टेलर ने मेरी गांड मारी?

मम्मी से ज्यादा मुझे चोदते हैं मेरे पापा

आज मैं आपको अपनी अन्तर्वासना की कहानी यानी बाप बेटी की सेक्स कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर सुनाने जा रही हूँ। ये मेरी पहली सेक्स कहानी है। मैं पहली

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