सेक्सी दादी और मैं – 1

हैलो दोस्तों, कैसे हो आप सभी? मैं हूं सूचित शर्मा, और लेके आया हूं आप सभी के लिए अपना रियल एक्सपीरियंस एक 68 साल की दादी को लंड पिलाने का।

आज से एक साल पहले तक मैंने कभी भी सेक्स नहीं किया था। लेकिन मेरा मन बहुत करता था। मैं भी सभी की तरह पोर्न विडियोज़ देखता था, और मन करता था कि कोई तो मिल जाए लंड की आग शांत करने के लिए।

मैं हरियाणा से हूं। मेरी संतुष्टि का सिलसिला शुरू हुआ एक छोटे से गांव से। मैं पोलोटेक्नीक खतम करने के बाद एक कंपनी में नौकरी करने लगा, और कंपनी के पास ही गांव में मैंने एक कमरा किराए पे लिया।

जैसा कि आप सभी जानते हो गांव में ज्यादातर महिलाएं कुर्ता और घाघरा पहनती है। इस गांव में 3 महीने कब निकल गए पता ही नही लगा। शुरुआत से ही मुझे 50+ वाली औरतें ही पसंद है, क्योंकि वो संतुष्टि के मामले में बहुत आगे होती है। मानता हूं कि स्टैमिना कम होता है। अब कहानी पे आते है।

गांव में किराना स्टोर बहुत कम होते है, 1-2 ही, और इसी वजह से शाम के टाइम भीड़ भी ज्यादा हो जाती है। मेरी नाइट शिफ्ट चल रही थी उस टाइम पे, और मैं सुबह आने के बाद 1 बजे बिस्तर से उठता था। इसीलिए मैं लंच बनाने के लिए सामान भी उसी समय लेके आया करता था।

मेरी किराना स्टोर वाले के साथ अच्छी जान-पहचान हो गई थी। एक दिन की बात है। मैं कुछ सामान लेने के लिए गया था, और उसी समय दुकानदार को अपने घर के अंदर जाना पड़ा किसी जरूरी काम से 15-20 मिनट के लिए। वो मेरे भरोसे पे दुकान छोड़ के चला गया कि देखना अगर कोई ग्राहक आए तो।

तभी वहां पे एक बुजुर्ग दादी सामान लेने के लिए आई। उनकी उम्र होगी 68 साल के करीब। मैंने उनको भैया के बारे में बताया कि-

मैं: अभी आने वाले थे कुछ समय में। आपको कोई सामान लेना है तो आप मुझे बता दीजिए।

लेकिन सामान उनको देते टाइम वो बैग मेरे हाथों से फिसल गया और उसमें रखे हुए टमाटर बाहर बिखर गए। जैसे ही वो टमाटर को इकट्ठा करने के लिए झुकी, तब पहली बार मैंने उनको अच्छे से देखा। उनके कुर्ते में से उनके टमाटर जो कि 40 साइज के थे, निकल के बाहर आने को बेताब हो रहे थे।

मैं तो बस वो ही देखता रहा। फिर उन्होंने आवाज दी कि बेटा मेरी मदद करो। मैंने भी जल्दी से सारे टमाटर इकट्ठे करने में मदद की, और लास्ट में कुछ मोटे-मोटे टमाटर मैंने उनके बैग में डाल दिए, ये कहते हुए कि बहुत मोटे है आपके टमाटर दादी, ठीक से संभाला करो।

वो भी मेरी बात को शायद समझ गई थी और बोली: बेटा अब तो उम्र हो गई है मेरी, कोई संभालने वाला नहीं है।

उसके बाद वो चली गई वहां से। उनका नाम कविता और साइज 40-34-42 की मोटी गांड और मोटे मोटे चूचे। वाह, मजा आ गया आज तो। उसके बाद धीरे-धीरे मेरी उनसे बातें होने लगी बीच-बीच में, और उन्होंने बताया कि दादा जी को सांस की बीमारी थी, और ज्यादातर बीमार ही रहते थे।

वो अपने छोटे बेटे और बहू के साथ ही रहती थी। उनका किराना स्टोर के पास में ही घर और पशुओं के छोटा सा प्लॉट था। उसके बाद मैंने उनसे बात करके उनके वहां से अपने लिए दूध भी लेने लग गया, और उनको चोदने की इच्छा से उन पर धीरे-धीरे लाइन भी मारने लग गया। कंपनी से आने के बाद बस उनका इंतजार करता था किराना स्टोर पे, और शाम को दूध लाने के समय पे भी उनके साथ काफी समय निकालने लग गया।

वो कुर्ता और घाघरा ही पहनती थी रोजाना, और कोई ब्रा भी नहीं पहनती थी, जोकि मैंने पहले ही देख लिया था। एक दिन की बात है। उनका छोटा बेटा और बहू किसी शादी में गए हुए थे, और घर पे भैंस का दूध निकालने के लिए कोई भी नहीं था। मैं शाम को 6 बजे के लगभग उस दिन पहुंचा था देरी से कंपनी में काम की वजह से।

उन्होंने ने मुझे बोला: बेटा दूध आपको ही निकला पड़ेगा। आज घर पे कोई नहीं है।

फिर मैंने दूध निकाला और उनको दे दिया, साथ में अपने लिए डब्बे में डाल लिया।

फिर उन्होंने बोला: बेटा मौसम खराब है। आज क्या आप हमारी भैंस को अंदर बने कमरे में बांध दोगे क्या?

मैंने भी उनकी मदद की इसमें।

अब शुरू होता है कहानी का असली पार्ट। जैसे ही मैं अंदर गया भैंस को लेके, वो भी पीछे से आ गई तांकि भैंस भागे नहीं। लेकिन इसी बीच भैंस ने छ्तकारा मारा और भागने की कोशिश की। लेकिन इतने में दादी का संतुलन बिगड़ गया और वो गिर गई। मैंने जल्दी से भैंस को बांधा और दादी को उठाने लगा।

मैंने पीछे से कमर को पकड़ा, तांकि उनको सपोर्ट मिले। इसी वजह से उनके मोटे-मोटे चूचे मेरे हाथो में आ गए। फिर मैंने भी बिना देरी किए, बहाने से दोनों चूचे मसल दिए। लेकिन उनको खड़ा करते समय मेरा भी संतुलन बिगड़ गया और हम दोनों फिर से अकेले कमरे में गिर गए।

इस बार वो मेरे ऊपर थी और मैं उनके नीचे। लेकिन इस बार मेरा एक हाथ नीचे ही उनकी चूत के पास दब गया और मैं भी धीरे-धीरे हाथ को निकालने के लिए बार-बार उनकी चूत के ऊपर प्यार से सहलाने लगा। और मेरा मुंह उनकी मोटी-मोटी चूचियों के बीच में सुंगध ले रहा था।

वो भी कई सालों से प्यासी थी, तो उनकी भी कामवासना जागने लगी, और वो भी ऐसा दिखाने लगी जैसे उठना चाहती हों। लेकिन उठ नहीं रही थी। मैं तो बस ऐसे ही पड़े रहना चाहता था तांकि उनकी चूत को अपने हाथ से सहलाता रहूं। फिर धीरे से मैंने अपने हाथ को साइड से निकाल कर उनके घाघरे का नाड़ा खोल दिया और अपना हाथ उनके पेटीकोट में डाल दिया।

क्या गरम चूत थी उनकी, पहली बार मैंने चूत को फील किया था। उसके बाद तो उनसे भी कंट्रोल नहीं हुआ और अपनी चूचियां मेरे मुंह में दबाने लगी। उन्होंने अपने कुर्ते के बटन खोल दिए और मेरी आखों में अलग ही चमक थी उस समय क्या बताऊं आपको। क्या चूचे थे उनके। वाह, वाह, वाह।

मैंने धीरे से उनकी एक चूची के निप्पल को मुंह में भर लिया, और उन्होंने अपनी आंखे बंद कर ली, जैसे काफी सालों के बाद किसी ने छुआ हो।

फिर उसके बाद मैंने अगले 3 घंटे उसी कमरे में गुजारे। क्या हसीन पल थे। आज भी वो शुरुआत मुझे बहुत याद आती है।

अगले पार्ट में आपको बताऊंगा कैसे मैंने उनकी चूत को पिया, और उन्होंने प्यार से मेरा लंड चूसा, वो भी पूरे एक घंटे तक।

आपके फीड बैक के लिए इंतजार करूंगा।

अगला भाग पढ़े:- सेक्सी दादी और मैं-2

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