मोसी सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी मौसी को वासना की नजर से देखता था, उनके शरीर को गलत तरीके से छूता था पर वे कुछ नहीं कहती थी. आखिर एक दिन मैंने मौसी की चूत मारी.
यारो, मेरा नाम हरप्रीत है. मैं अब 27 साल का हूँ और मुम्बई में रहता हूँ.
यह मोसी सेक्स कहानी पूरी सच है जो मेरे और मेरी मौसी के बीच हुई चुदाई की है.
मेरी मौसी का नाम रूपा है. यह नाम बदला हुआ है.
उनके 3 बच्चे हैं. दो लड़के और एक लड़की.
मौसी को मैंने बचपन से ही बहुत बार नंगी देखा था.
मैं जब से जवान हुआ, तभी से मौसी को चोदने की इच्छा रखता था.
इसलिए हर बार छुट्टी में मैं नानी के घर जाता था और मौसी के बाजू में ही सोया करता था.
तब मौसी की शादी नहीं हुई थी.
जब मौसी सो जाती थीं, तब मैं उनके दूध दबाया करता था और चूत में उंगली करता था.
वे उस वक्त मुझे रोकती नहीं थीं और मैं समझता था कि उन्हें मालूम नहीं चला है … इसी लिए मैं लगा रहा.
पर कभी उन्हें चोदने का मौका नहीं मिला.
इसलिए मैं उनके नाम की मुठ मारता था.
कभी कभी तो उनकी साड़ी पर ही अपना वीर्य गिरा देता था.
ऐसा मैंने बहुत बार किया, पर चूत में लंड पेलने का न तो मौका मिला और न ही हिम्मत हुई.
फिर उनकी शादी हो गई और वो मौसा जी के साथ रहने लगीं.
मैं भी उनके घर जाता रहा.
अब मैं गबरू जवान हो गया था लेकिन मेरी मौसी मुझे अभी भी उतना छोटा ही समझ कर प्यार करती थीं.
मैं भी उनकी इस बात का फायदा उठा कर उन्हें अपने गले से लगा कर चूम लिया करता था और उनकी और बड़ी हो चुकी चूचियों की रगड़ का अहसास कर लेता था.
हालांकि मैं उन्हें अभी भी चोद नहीं पा रहा था. कभी घर में मौसा जी होते, तो कभी उनके बच्चे.
फिर एक दिन मौसा जी सबको छोड़कर गांव रहने चले गए.
मौसी और बच्चे शहर में ही रह गए.
उनके बच्चे गांव में रह कर नहीं पढ़ पाते इसलिए वो शहर में ही रहने लगी थीं और मौसा जी गांव में अपनी खेती का काम देखने लगे थे.
मौसी के इस तरह से अकेले रहने से मेरे मन में लड्डू फूटने लगे और मैं अपने घर से ऑफिस का काम बोल कर उनके घर चला जाता.
उधर दो तीन दिन रहकर आता.
इस तरह से मैं मौसी के नज़दीक आने लगा.
कुछ दिन बाद मैं महीने में 3 से 4 दिन मौसी के घर जाने लगा और मौसी के पास सोकर उनसे नज़दीकियां बढ़ाने लगा.
मौसी जिस तरह से मुझसे चिपक कर मिलती थीं, उससे मुझे समझ आने लगा था कि वो मुझसे चुदवा सकती हैं.
कभी कभी अब मैं उनके साथ ही सोने लगा था.
मौसी को भी मेरे साथ सोने में अच्छा लगता था.
मैं कभी कभी सोते समय मौसी की चूत में उंगली फेर देता, तो कभी उनके मम्मों पर हाथ फेर देता.
मौसी भी कुछ नहीं बोलती थीं तो उससे मेरा हौसला बढ़ने लगा था.
मैं अब उनके जागते समय भी उनके दूध कभी भी दबाने लगा था.
यह बात करीब चार साल पहले की है.
एक दिन मौसी बोलने लगीं- अब तेरी शादी करवानी पड़ेगी.
मैं हंस देता- मौसी आप तो हो, मुझे शादी की क्या जरूरत है?
वो बोलीं- मैं तेरी बदमाशी सब समझती हूँ.
इसी बीच एक बार कुछ ऐसा हुआ कि मेरी मौसी को पैसे की ज़रूरत पड़ गई.
मैंने उनकी मदद की और कहा- आप मुझे अपना ही क्यों नहीं मान लेती हैं?
मेरी इस बात से मौसी से भी मुझे ग्रीन सिग्नल मिलने लगे.
वे अब मेरे साथ और ज्यादा खुलने लगीं.
वे कभी सोते हुए मेरे लंड पर अपनी गांड लगा देतीं तो कभी मेरी गर्दन पर चूम लेतीं.
मैं भी उस समय उनसे पूरा लिपट जाता.
अब मैंने उनकी चूत पर सीधा हाथ लगाकर सहलाना शुरू कर दिया था.
वे समझ चुकी थीं कि मैं उन्हें चोदना चाहता हूँ.
और तब भी वो पहल नहीं करना चाहती थीं और ना ही अपने मुँह से मुझे कुछ कहना चाहती थीं.
फिर वो दिन भी आ गया, जब मेरा और मौसी का मिलन हुआ.
वो दोपहर का वक्त था. मैं मौसी और उनकी लड़की एक ही बेड पर सोए हुए थे.
मैं बीच में था.
मैंने और मौसी ने एक ही चादर लिया था. मैं मौसी की चूत में उंगली कर रहा था.
तभी उनका हाथ आया और मेरी पैंट की चैन खोलने लगा.
मैं दम साधे हुए उनके हाथ की हरकत को महसूस करने लगा.
अचानक से उन्होंने मेरी पैंट के अन्दर हाथ डाला और वो मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगीं.
फिर धीमे से मेरे कान में बोलीं- यही पेलना था ना …. साले तू खुद देख ना कि तेरा कितना बड़ा है? ये मेरी में जाएगा भी … या तहस-नहस करके बाहर आ जाएगा. यदि ये मेरी में अन्दर घुस भी तो सब मटियामेट कर देगा.
मैंने बस हां बोला.
तब तक मौसी की लड़की बोली- तुम दोनों कितने हिलते हो. ठीक से सोने भी नहीं दे रहे हो.
उसकी इस आवाज से हम दोनों ही एकदम से घबरा गए और हम दोनों तत्काल चुप हो गए.
मौसी की लड़की का नाम जानू था. वह जागी हुई थी.
उसके जागने से मौसी को चोदने का मेरा सपना जैसे जाने ही वाला था.
तभी मौसी बोलीं- जानू को कुछ लाने भेज दे.
मैं हां कहता हुआ उठा और मैंने जानू से कहा- जानू, मुझे भूख लगी है, तू बाजार से कुछ अपनी पसंद का लेकर आ … और ये ले पैसे … तू अपना फेशियल करवाने की कह रही थी ना … तो वो भी करवा कर आ!
वह फेशियल करवाने की बात सुनकर एकदम से चहक उठी और झट से बाजार जाने की बात मान गई.
मैंने उसे 700 रुपए दे दिए और वो ये कहती हुई चली गई कि मुझे आने में कम से कम दो घंटा लगेंगे. तब तक आप कुछ ऑर्डर करके जोमटो से मँगवा लेना.
उसके जाने से मैं और मौसी बहुत खुश हुए.
जानू के जाने के बाद मैंने उठ कर दरवाजा बंद किया और वापस आकर मैं मौसी के ऊपर चढ़ गया.
हम दोनों किस करने लगे और मैं मौसी की चूत में उंगली करने लगा.
मौसी कुछ ही पलों में पूरी गर्म हो गईं और बोलीं- अब जल्दी कर … मुझसे रहा नहीं जा रहा है. जानू भी वापस आ जाएगी.
मैंने मौसी की साड़ी ऊपर की और उनका ब्लाउज खोल दिया.
मौसी ने मेरी पैंट निकाली और लंड को लेकर अपनी चूत पर रख कर रगड़ने लगीं.
उनकी चूत भट्टी सी भभक रही थी.
मैं लंड अन्दर डालने लगा, तो वो जा नहीं रहा था.
मौसी बोलीं- इतना बड़ा लंड मैंने अब तक कभी लिया ही नहीं है. तू थोड़े आराम से कर!
मैंने हां बोल कर जोर से अन्दर पेल दिया.
मौसी थोड़ी चिल्लाईं और मुझे कसके पकड़ लिया.
मैं धक्के देने लगा.
मौसी की टाइट चूत में लंड पेलने में मस्त मज़ा आ रहा था.
कुछ ही देर में शायद मौसी ने रस छोड़ दिया था तो लंड को अन्दर जाने में चिकनाई मिल गई और सटासट लंड अन्दर बाहर होने लगा.
अब जैसे जैसे टाइम होता गया … मैंने भी धक्के देने तेज कर दिए.
मौसी की दोनों टांगें हवा में उठ कर 180 डिग्री पर फैल चुकी थीं.
और वे अपनी कमर उठा कर लंड का मजा लेने लगी थीं.
मौसी ‘आहह आहह अह उऊहह … और तेज कर …’ बोल रही थीं.
मैं भी फुल स्पीड में मौसी को चोद रहा था और उनके बूब्स चूस रहा था.
मौसी बोलीं- चल 69 करते हैं.
मैंने हां बोला और हम दोनों 69 में हो गए.
अब मैं नीचे था और मौसी मेरे ऊपर थीं.
मैं मौसी की चूत चाट रहा था और मौसी मेरा लंड.
दस मिनट चुदाई और दस मिनट 69 के बाद मौसी उठ गईं.
वे सीधी हुईं और मेरे लंड पर बैठ गईं.
लंड चूत में लेते ही मौसी ऊपर नीचे होने लगीं.
कुछ ही पलों बाद मौसी जोर जोर से उछलने लगीं और चूचियाँ मुझे पिलाती हुई मुझसे चुदती रहीं.
कोई 15 मिनट बाद मौसी थक गईं तो मैंने मौसी को अपने लौड़े के नीचे ले लिया और उनके ऊपर चढ़ गया.
इस बार मैं किसी सांड की तरह मौसी की चूत में लंड डाल कर उन्हें जोर जोर से धक्के देने लगा था.
कुछ ही देर में मौसी चिल्लाईं और गर्म गर्म पानी छोड़ कर हांफने लगीं.
पर मेरा अभी तक नहीं हुआ था.
मैं धक्के देता ही रहा और मौसी बोलती रहीं- आह जल्दी करो … मैं थक गई हूँ.
काफी देर के बाद मैं मौसी के अन्दर झड़ गया और उनके ऊपर ही लेट गया.
दस मिनट बाद हम उठे और बाथरूम जाकर फ्रेश हुए.
फिर किस करके वापस बिस्तर पर आ गए.
मौसी बोलने लगीं- यह बात किसी को बताना मत!
मैंने हां बोलकर उनको किस किया और हम दोनों एक दूसरे से छेड़खानी करने लगे.
मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
मौसी बोलीं- नहीं … मैं अभी थकी हुई हूँ, तो अभी मत करो!
मैंने कहा- एक बार और मौसी … सिर्फ़ एक बार.
मौसी मना करती रहीं पर मैंने कहा- ओके सिर्फ़ मुँह में लो और ऐसे ही मुझे शांत कर दो.
मौसी मान गईं और मेरा लंड मुँह में लेने लगीं.
मुझे मजा आ रहा था. मौसी को भी चुदवाने का मन हो गया और मौसी चूत और गांड को हाथ लगाती हुई बोलीं- ले अभी मेरा भी मन हो गया है.
मैंने ये सुनते ही कुछ नहीं देखा, बस मौसी को बेड पर डाला और पीछे से उनकी गांड में लंड पेल दिया.
मौसी जोर से चिल्लाईं- आह … बाहर निकाल … गलत जगह में पेल दिया है.
पर मैंने कुछ नहीं सुना और उन्हें पेलता रहा.
थोड़ी देर बाद मौसी को अच्छा लगने लगा और वो बोलने लगीं- आह और तेज कर आह तेज कर!
मैं मौसी की आवाज़ सुनकर और तेज हो गया और 30 मिनट बाद गांड में रस छोड़ कर लंड बाहर निकाल लिया.
मैं थक कर मौसी के ऊपर सो गया.
मौसी भी सो गईं.
मेरा लंड मौसी की गांड में ही था और हम दोनों गहरी नींद में सो गए थे.
कुछ देर बाद जानू आई और उसने दरवाजा बंद देखा तो वो पीछे के रास्ते से अन्दर आ गई.
उसने ये सब देख लिया पर वह कुछ नहीं बोली क्योंकि मौसी को चोदने से पहले मैंने जानू की सील तोड़ चुका था.
वह चुपचाप बाहर चली गई.
कुछ देर बाद मेरे फोन की घंटी बजने पर मेरी नींद खुली और मैंने जानू का फोन सुनकर दरवाजा खोला.
हम दोनों ठीक हुए और मैंने दरवाजा खोला.
तब तक मौसी बाथरूम में चली गई थीं.
जानू ने अन्दर आकर मेरे कान में कहा- मुझे तो चोदा ही … मेरी माँ को भी नहीं छोड़ा?
मैं ये सुनकर थोड़ा हंस दिया और बोला- बोलना मत किसी को!
तो वो बोली- नहीं बोलूँगी … पर तुझे हम दोनों को एक साथ चोदना पड़ेगा … और वो सब प्लान तू ही बना.
मैंने हां बोल दिया और जानू अन्दर चली गई. मौसी बाहर आ गईं. मैं और मौसी बात करने लगे.
उस दिन से मैं और मौसी पति पत्नी के जैसे रहने लगे.
मैं मौसी को पूरे जोर लगाकर पेलता रहता हूँ. कभी गांड, तो कभी चूत.
मौसी को मैं अभी भी सड़क छाप रंडी की तरह चोद मोसी सेक्स का मजा लेता हूँ.
बस अभी जानू को मौसी के साथ बिस्तर पर पेलने का प्रोग्राम बना रहा हूँ.
जैसे ही मौसी को मना लूँगा उसी दिन माँ बेटी दोनों की एक ही पलंग पर चुदाई की कहानी बन जाएगी और आप सभी को सुनाऊंगा.
मौसी की चुदाई के पहले मैंने जानू की कुंवारी चूत की सील कैसे तोड़ी थी और जानू कैसे मेरे लंड की दीवानी हुई थी.
वो अभी भी मुझसे महीने में दस बार कैसे चुदती है.
यह बड़ा मजेदार किस्सा है. ये सब अगली सेक्स कहानी में लिखूँगा.