आंटी फक कहानी में मैं पढ़ने के लिए मौसी के पास रहता था. एक रात मैंने देखा कि मौसा जी मौसी को चुदाई में खुश नहीं कर पाते थे. तो मैंने इस बात का फ़ायदा उठाया.
दोस्तो, मेरा नाम अभय है. मैं महाराष्ट्र के छोटे से गांव से हूं.
यह आंटी फक कहानी मेरी और मेरी मौसी की चुदाई की कहानी है.
मेरी दसवीं तक की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी और उसके आगे की पढ़ाई के लिए मेरे गांव में स्कूल था ही नहीं. तो मेरी मम्मी ने मुझे अपनी मौसी के घर भेज दिया.
मौसी का घर हमारे गांव से 150 किमी दूर था.
यह एक छोटा सा शहर था. मुझे वहीं रहने भेज दिया गया.
मौसी का नाम कमला है.
मैं उनके बारे में कुछ बता दूं.
मौसी दिखने में गेहुंए रंग की हैं. उनका फिगर बाद ही जानलेवा है.
उनके 36 इंच के बूब्स और 32 इंच की कमर व 38 इंच की गांड है.
जैसे ही मैं मौसी के घर पहुंचा, मौसी ने मुझे गले से लगा लिया.
मुझे उम्मीद ही नहीं थी कि मेरा पहला मुकाबला मौसी के मम्मों से होगा.
उनकी चूचियां मेरे सीने में धंस गई थीं.
उनके मम्मों से सीना लगते ही मेरे लौड़े में करंट सा दौड़ गया, बॉडी में झनझनाहट होने लगी.
मैंने भी शर्म छोड़ कर उनको कसके पकड़ लिया.
मेरी इस हरकत का जवाब और भी मस्त मिला.
मौसी ने मेरे माथे पर चूम लिया.
लंड में हलचल मच गई और लौड़े ने मौसी के दरवाजे की कुंडी खटखटा दी.
मेरे लंड की धमक पाकर शायद मौसी को भी कुछ लगा और उन्होंने मुझे अपने सीने से अलग कर दिया.
उन्होंने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और मेरे हाल-चाल पूछने लगीं.
उसके बाद मौसी ने मेरा बैग उठाया और अपने एक हाथ से मुझे पकड़ घर में अन्दर बने एक कमरे में ले गईं.
कुछ देर बाद मौसी ने मेरे लिए चाय बनाई और मुझे चाय नाश्ता कराया.
मैंने मौसा जी के बारे में पूछा.
तो वे थोड़ी गुस्से वाली सूरत बना कर वितृष्णा से बोलीं- काम पर गया है फैक्ट्री में!
उनकी इस विषाद भरी भाषा ने मुझे काफी कुछ बता दिया था.
फिर मौसी ने मुझे मेरे रूम में सामान सैट करने के लिए कहा और मेरे लिए नहाने का पानी गर्म कर दिया.
उन्होंने मुझसे नहाने का बोलते हुए कहा- जल्दी से नहा ले … फिर खाना लगा देती हूँ.
मैं बाथरूम में चला गया और नहाने लगा.
नहाते समय भी मौसी की चूचियों के बारे में ही सोच रहा था.
उनकी बड़ी बड़ी चूचियों का अहसास याद आते ही लंड खड़ा हो गया.
आज पहली बार मेरे मन में मौसी के लिए ऐसा ख्याल आया था.
दरसल में अन्तर्वासना की सेक्स कहानी पढ़ कर परिपक्व औरतों को चोदने की कल्पना करता था.
उसी कल्पना के चलते आज अपनी 42 साल की उम्र की मौसी को अपने शरीर से स्पर्श करके मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया था.
मौसी की याद करते हुए ही मैंने लंड हिलाया और रस टपका कर नहाने लगा.
नहाने के बाद में याद आया कि मैं अपनी अंडरवियर और तौलिया निकाल कर रखी ही नहीं.
मैंने मौसी को आवाज लगाकर अंडरवियर और तौलिया देने को कहा.
कुछ ही देर में मौसी तौलिया और अंडरवियर लेकर आ गईं.
मैंने बाथरूम का दरवाजा खुला ही रखा.
मौसी सीधी अन्दर आईं और मुझे देख कर कुछ देर तक घूरती रहीं.
उनकी आंखें मेरे पूरे जिस्म पर घूम रही थीं.
मौसी की नजरें मेरे आधे खड़े लिंग पर टिक गई थीं.
मैंने ‘मौसी’ बोलकर उनका ध्यान हटाया तो वे बोलने लगीं- लाओ, मैं पौंछ देती हूं.
उन्होंने तौलिया से मेरे शरीर को पौंछना शुरू किया और मुझे अंडरवियर देती हुई बोलीं- काफी बड़े हो गए हो अभय!
मुझे ऐसा लगा कि उन्होंने कहा है कि तेरा काफी बड़ा हो गया है अभय!
शायद वे मेरे लौड़े को देख कर ही बोली थीं.
लंड भी उनकी नजरों को देख कर कुछ कुछ ऐंठने लगा था.
अब लौड़े में भेजा तो होता नहीं है; वह तो चूत देख कर हिनहिनाने लगता है.
लंड का यूं मुँह उठाना देख कर मौसी की आंखों में भी चमक आ गई थी.
जब तक मैंने कच्छा नहीं पहन लिया, तब तक वे मेरे लंड को देखती ही रहीं.
गजब बेशर्म निकलीं मौसी जी … लंड को तो उन्होंने कच्चा खा जाने वाली नजर से देखा था और शायद कुछ मन भी बना लिया था.
नहाने के बाद मैं बाहर निकलने को हुआ तो मौसी ने भी बाहर निकलते हुए कहा- जल्दी से खाना खाने आ जाओ.
फिर खाना खाकर मैं सो गया.
शाम को मौसा जी आए.
उनसे बात हुई और उनके साथ ही शाम का खाना खाकर आराम करने लगा।
मौसी मौसा अपने रूम में चले गए थे और मैं अपने कमरे की बजाये बाहर हॉल में सोफ़े पर लेट कर टीवी देखने लगा था.
मुझे मुठ मारने की आदत थी तो मौसा मौसी के कमरे में जाने के बाद मुझे उनकी दोपहर वाली नजर याद आई और सुबह उनकी चूचियों की नर्म टक्कर भी याद आई.
मैंने मौसी के कमरे की तरफ नजर मारी और अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा.
कुछ ही देर में सफेद माल निकल गया और मैंने उसे अपने रूमाल से पौंछ कर साफ किया और कमरे में जाकर सो गया.
दूसरे दिन मेरा दाखिला हो गया. मेरा जूनियर कॉलेज में जाना शुरू हुआ.
कुछ दिन यूं ही कटे.
एक बार रात को मुझे कुछ सुनाई दिया.
रात में माहौल शांत होने से छोटी सी आवाज भी साफ सुनाई दे रही थी.
मौसी की चूड़ियों की आवाज़ आई और बिस्तर के हिलने की भी आवाज आई.
मुझसे रहा न गया और मैंने मौसी के दरवाजे के चाभी वाले होल से झांका, तो नजारा देखा.
मौसा नंगे पड़े थे और मौसी अपने ब्लाउज के बटन लगा रही थीं.
वे कुछ बड़बड़ करती हुई बोल रही थीं.
मौसी जी के चेहरे से साफ लग रहा था कि मौसी चुदाई से संतुष्ट नहीं हुई थीं.
वे गाली दे रही थीं.
मैंने कान लगा कर सुनने की कोशिश की तो वे कह रही थीं- किस हिजड़े से पाला पड़ गया है मेरा … साले को लंड के नाम पर नुन्नू मिली है. मेरे तो करम ही फूट गए.
मौसा जी कुछ नहीं बोल रहे थे.
मौसी जी कपड़े पहन कर लेट गईं और सो गईं.
अब मैं रोज नजर रखने लगा.
उस दिन के ठीक 4 दिन बाद मौसा जी मौसी को चोदने की तैयारी कर रहे थे.
मुझे सब कुछ साफ दिख रहा था.
मौसा ने मौसी के ब्लाउज को खोला और बूब्स को चूसना शुरू कर दिया.
उसके बाद उन्होंने मौसी की साड़ी ऊपर की और अपनी लुंगी खोल कर मौसी के ऊपर चढ़ गए.
मौसी ने अपने पैर फैला कर रखे थे.
उसके आगे जो मैंने देखा तो समझ गया कि मौसा जी सच में नपुंसक ही हैं.
उस दिन मैं पूरी तरह से समझ गया था कि मौसी का दर्द क्या है. उनको एक मजबूत लंड की जरूरत है.
मौसा मौसी के ऊपर चढ़े और सिर्फ 4-6 झटके देकर वे मौसी के ऊपर से उतर गए.
इससे मौसी गुस्सा होकर अपनी साड़ी ब्लाउज पहनने लगीं.
वे गाली बक रही थीं- जब मादरचोद से कुछ होता ही नहीं है तो बहन के लंड को आग लगा कर छोड़ देने की क्या जरूरत है. अगली बार हरकत की ना साले … तो सड़क पर नंगी जाकर खड़ी हो जाऊंगी और किसी भी राहगीर से चुदवा लूँगी.
मौसा जी कुछ नहीं बोले.
इसके बाद मेरे दिमाग में मौसी को चोदने का ख्याल घर कर गया.
मौसी को सोच कर मैं मुठ मारने लगा.
मैं धीरे धीरे मौसी से बात करके उनके करीब जाने की कोशिश करने लगा.
उनकी तरफ से भी मेरे लिए हरी झंडी थी.
हम दोनों कुछ ही दिनों में एक दूसरे से खुल कर बात करने लगे.
फिर वह दिन भी आ गया.
उस दिन मैंने जानबूझ कर कॉलेज से छुट्टी मार ली और दोपहर का इंतजार करने लगा ताकि मौसी से बात कर सकूँ.
खाना खाकर मैं मौसी के बेडरूम में गया.
मौसी लेटी थीं.
वे मुझे देख उठीं और उन्होंने मुझे अपने करीब बुलाया.
मौसी का पल्लू थोड़ा गिरा हुआ था, जिससे उनका क्लीवेज दिख रहा था.
कुछ देर इधर उधर की बात करते हुए मैंने मौसी से पूछा- आपका कोई बॉयफ्रेंड है?
तो मौसी हंसने लगीं और बोलीं- धत्त बदमाश, मैं शादीशुदा हूँ.
मैंने पूछा- अच्छा अगर आप कुंवारी होतीं और बॉयफ्रेंड बनाना पसंद करतीं, तो कैसा लड़का पसंद करतीं?
मौसी हंस कर बोलीं- बिल्कुल तुम्हारे जैसा!
मैंने कहा- मौसी क्यों मजाक कर रही हो!
मौसी बोलीं- क्यों, क्या खराबी हैं तुम में? अच्छी खासी बॉडी है तुम्हारी, स्मार्ट दिखते हो … कौन लड़की ना बोलेगी तुमको!
मैं हंस दिया.
मौसी ने पूछा- तुम्हारी गर्लफ्रेंड है ना?
मैं बोला- नहीं मौसी.
मौसी ने पूछा- तुमको कैसी लड़की पसंद है?
मैं बोला- बिल्कुल आपके जैसी!
मौसी बोलीं- धत्त पगला, मुझ बुढ़िया का मजाक उड़ा रहा है!
मैंने कहा- मौसी सच में आप मुझे बहुत पसंद हैं. आपको देख मुझे कुछ हो जाता है. आपका बदन बहुत ही कामुक लगता है!
मेरे मुँह से यह बात सुन कर मौसी की आंखों में कामुकता आ गई थी.
वे मेरे करीब को आईं और बोलीं- सच सच बता … क्या अच्छा लगता है मेरे बदन में?
मैं बोलने लगा- मौसी आपके बूब्स इतने हॉट लगते हैं कि जी करता कि बस इनको खा जाऊं … आपके होंठों को चूस कर आपके बदन को चाटने का मन करता है.
मौसी वासना भरे स्वर में बोलीं- अभय तू मुझे इतना पसंद करता है … मुझे पता ही नहीं था कि तू मुझे ऐसे प्यार करेगा!
तभी मौसी ने मुझे गले लगा लिया.
मैंने हां कहते हुए कहा कि मौसी आप एक इशारा तो करो … आपको जन्नत का नजारा दिखा दूंगा.
मौसी की आवाज उस समय और सेक्सी हो गई- आह अभय … वह सब करो, जो तुमने मेरे लिए सोचा है. मेरी तरफ से हां है.
यह सुनते ही मैंने मौसी को लेटा दिया और उनके होंठों से होंठ मिला कर किस करने लगा.
उनके चूचों को मसलने और काटने लगा.
मौसी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
आज उनकी दबी हुई काम वासना जागृत हो गई थी.
न जाने कब से मौसी की चूत में सही से किसी मर्द के लंड ने खेला ही न था.
मैं मौसी के गले पर किस करने लगा.
मौसी के मुँह से मादक सिसकारियां मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थीं.
मैंने देर न करते हुए मौसी का ब्लाउज खोल दिया.
मौसी ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी. ब्लाउज खोलते ही उनके 36 इंच के दूध आजाद हो गए.
मौसी के अंगूरी निप्पल एकदम कड़क हो गए थे.
मैंने दोनों मम्मों को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और दबाते हुए भँभोड़ने लगा.
वे अपने दूध को चूसने का इशारा करने लगीं.
मैंने आंटी फक कामना को समझते हुए उनका एक निप्पल होंठों में भर लिया और खींचते हुए चूसने लगा.
मौसी मेरे बाल सहलाती हुई मेरे साथ चूचे चुसवाने का आनन्द ले रही थीं.
मैंने बारी बारी से मौसी के दोनों मम्मों को चूसा और उन्हें लाल कर दिया.
उनके बाद मैंने उनकी नाभि को चाटना शुरू किया.
मौसी उत्तेजना के मारे पागल होने लगी थीं.
मैंने उनकी साड़ी खोल दी और उनके पेटीकोट को हटा दिया.
अब वे सिर्फ एक पैंटी में मेरे सामने थीं. मैं भी नंगा हो गया.
मौसी मेरे खड़े लंड को देख कर मुस्कुरा रही थीं.
मैं उनको पैरों से किस करते हुए ऊपर उनकी जांघों तक आया और जांघों को चाटने लगा.
उसके बाद मैंने उनकी पैंटी उतार दी और उनकी चूत को सूंघने लगा, मौसी की चूत में जीभ डाल कर चाटने लगा.
इससे मौसी बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी थीं.
उनका जिस्म बहुत सिहर रहा था, मुँह से मादक सिसकारियां निकल कर उनके कामातुर बदन की गवाही दे रही थीं.
चूत का गीलापन मेरे लंड को ललकार रहा था.
मौसी बोलीं- अभय और मत तड़पा … जल्दी से मेरी प्यास बुझा दे.
मैंने मौसी से कहा- मौसी, चूत में जाने से पहले आप अच्छे से अपने इस हथियार का दीदार तो करो!
मौसी बोलीं- हां अभय दिखाओ!
मौसी बैठ गईं और मैं उनके सामने खड़ा हो गया.
तब मौसी ने मेरे खड़े लंड को हाथ में लिया और बोलीं- अभय, तुम्हारा लंड बहुत लंबा और मोटा है. तुम्हारे मौसा का लंड इसके सामने कुछ है ही नहीं!
ऐसा बोल कर मौसी मेरे मर्दाना लंड को चूमने लगीं.
मैंने मौसी का सर पकड़ा और उनके बाल खोलते हुए उनके सर को लंड पर दबाने लगा.
मौसी लंड को चूसने लगीं. वे लंड के साथ मस्ती कर रही थीं.
मैंने मौसी को रोका और उन्हें प्यार से लेटा दिया.
मौसी ने अपनी टांगें खोल दीं और मुझे अपने चढ़ने का इशारा किया.
मैं मौसी के ऊपर चढ़ गया.
मौसी ने खुद अपने हाथ से लंड को पकड़ कर उसके सुपारे को चूत के मुहाने पर रखा और बोलीं- चोद अभय … चोद दे मुझे … आह प्यास बुझा दे मेरी!
ऐसा कह कर मौसी ने मुझे अपने ऊपर खींचा.
मैंने एक ही झटके में अपने लंड को मौसी की चूत में घुसा दिया.
मौसी के मुँह से आह की सीत्कार निकली- आह अभय … मर गई मैं … आह स्लो!
मैं उनकी बात को अनसुना करते हुए जोर जोर से झटके देने लगा.
मौसी मादक सिसकारियां लेती हुई मेरा नाम पुकार रही थीं- ओह अभय … चोद मुझे अभय … आह फाड़ दे मेरी चूत आह मेरे राजा मेरी प्यास बुझा दे.
मैं भी बिना रूके मौसी को धकापेल चोद रहा था.
कुछ देर बाद मैं, मौसी के पैर अपने कंधों पर लेकर उन्हें चोदने लगा.
कुछ 15 मिनट बाद मौसी झड़ गईं लेकिन मेरा लंड अभी नहीं झड़ा था.
मैंने उनको घोड़ी बनाने को कहा, वे तुरंत पलट कर घोड़ी बन गईं.
मैंने सुपारा उनकी गांड के छेद पर रखा और झटका दे दिया.
मौसी की चीख निकल गई- अह्ह्ह अभय … मर गई … अह्ह्ह्ह धीरे ह्ह्ह्ह.
मैंने उनकी गांड मारी और उनको सीधा लेटा कर उनकी चूत चोदने लगा.
मौसी बोलीं- बेटा, माल अन्दर मत निकालना.
जब रस निकलने वाला था तो मैंने मौसी के पेट के ऊपर टपका दिया.
मौसी के पसीने से भीगे चेहरे पर संतोष दिख रहा था.
फिर मौसी ने मुझे गले लगाया और बोलीं- अभय तूने मेरी बरसों की प्यास बुझा दी.
उसके बाद हम दोनों ने एक बार और चुदाई की.
अब मैं मौसी को हर दूसरे दिन चोद लेता हूं.
शायद मौसी ने मौसा जी को भी बता दिया था कि अभय से उनकी चुदाई होने लगी है.
अब मुझे मौसा जी की झांट परवाह नहीं होती है.
मैं जब भी मन करता मौसी को रात में अपने कमरे में आने की कह देता हूँ और मौसी जी हँसती हुई मेरे लौड़े से चुदवाने आ जाती हैं.