टेलर मास्टर से ब्लाउज सिलवाया- 1

लेडीज़ टेलर सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मैं अपना ब्लाउज सिलवाने एक जाने मने दर्जी के पास गयी तो उसने बढ़िया फिटिंग के बहाने मेरा ब्लाउज ब्रा हटाकर नंगी चूचियों का नाप लिया.

नमस्कार दोस्तो, मैं आपकी दोस्त प्रकृति शांडिल्य पेश हूं मेरी कहानी का अगला भाग लेकर।

उम्मीद है कि आप मेरी वसुंधरा सीरीज की पिछली कहानी
पति की बेरुखी से मैं फिसल गयी पढ़ चुके होंगे।
ये वसुंधरा सीरीज की दूसरी कहानी है।

चलिए लेडीज़ टेलर सेक्स स्टोरी शुरू करते हैं।

आशुतोष भाई के साथ त्यौहार मनाने की कहानी मैं आप सबको बता चुकी हूं।

वे अक्सर मेरे घर आया करते थे खासकर तब जब मेरे पति कहीं बाहर टूर पर हों।
कई बार हमने होटलों में जाकर भी चुदाई की।

एक बार मैंने आशुतोष भाई से कहा- आशुतोष भाई, मुझे मेरी सहेली की शादी अटेंड करनी है और मेरे पास कोई अच्छी ड्रेस भी नहीं है। आपकी जानकारी में कोई अच्छा टेलर है क्या जो सिलाई बेहतर कर सके?
आशुतोष ने मुझे एक टेलर के बारे में बताया और उसका नम्बर भी दिया- आप कोई सैक्सी सा डिजाइन सोच लीजिए, यह टेलर उसी के हिसाब से आपकी ड्रेस तैयार कर देगा। बस कह देना कि आशुतोष ने भेजा है, वो समझ जाएगा।

उसके दिए नंबर पर मैंने कॉल की तो एक मर्दाना आवाज आई- जी कहिए, आपको किससे बात करनी है?
मैंने कहा- जी क्या ये नंबर जसवन्त जी का है? मैं वसुंधरा बोल रही हूं।
उधर से आवाज आई- जी मैडम, फरमाइए, मैं जसवन्त ही बोल रहा हूँ।

मैंने कहा- जी मुझे आपका नंबर आशुतोष भाई से मिला है, मुझे कुछ ड्रेस सिलवानी थी इसलिए आपको कॉल किया।
जसवन्त- अच्छा, आशुतोष ने मेरा नंबर दिया है. तो आप कल दोपहर में आ जाइए दो बजे, फिर देखते हैं।

मैंने फ़ोन रख दिया और फिर घर के कामकाज में लग गई।

अगले दिन छुट्टी थी इसलिए मैं कपड़े लेकर जसवन्त की दुकान पर पहुंची।
उसने मुझे देखते ही नमस्ते की और मुझे अंदर बिठाया।

जसवन्त की उम्र 40 साल के आसपास थी और वह 6 फुट का हट्टा कट्टा नौजवान था।

मैंने उसको कपड़े दिखाए और फिर लहंगा चोली सिलने को कहा।
जसवन्त ने कहा- ठीक है मैडम, लेकिन आपका नाप लेना पड़ेगा।

मैंने दूसरा ब्लाउज दिया तो उसने मुझे गुस्से भरी नज़र से देखा- आपको आशुतोष ने ही भेजा है ना?
मैं- हां, उन्होंने ही भेजा है, तो क्या हुआ?
जसवन्त- आशुतोष मेरा बहुत जिगरी दोस्त है। वो मुझे अपनी सारी बातें बताता है. उसमें आपका भी जिक्र था, उसने आपको बताया नहीं कि नाप हम खुद लेते हैं।

यह कहते वक्त उसकी आंखों में एक हवस भरी चमक थी।
मैं समझ गई थी कि आशुतोष ने उसकी और मेरी चुदाई की बात जसवन्त को बता दी थी इसीलिए जसवन्त इतना भाव खा रहा था।

मैंने जसवन्त को ऊपर से नीचे तक देखा.
वह भी तगड़ा तंदरुस्त था, मुझे लगा क्यों न इसके साथ भी मजे ले लिए जाएं।

मैं मुस्कुराई और बोली- माफ कीजिएगा मैं भूल गई थी, आप ही नाप ले लीजिए।
जसवन्त मुस्कुराया- चलिए अंदर, आपकी ले लेते हैं, नाप!

मैं मुस्कुराई और जसवन्त के साथ उसकी दुकान में बने चैंबर में चली गई।

अंदर पहुंचते ही जसवन्त ने दरवाजे की चिटकनी लगाई।
उस चैंबर में चारों तरफ शीशे लगे थे।

जसवन्त ने कहा- मैडम, अपना पल्लू जरा हटाइए, हमें नाप लेनी है।

मैंने पल्लू हटा दिया तो मेरे ब्लाउज में कसे हुए स्तन दिखने लगे।

जसवन्त ने उन्हे देखा और मुस्कुरा कर कहा- मैडम, आपका ब्लाउज काफ़ी टाइट है, इसमें आपको आराम नहीं मिलता होगा।
मैंने कहा- जी थोड़ा टाइट हो गया है, शायद मोटी हो गई हूं।
जसवन्त- अब आए दिन आशुतोष के साथ मजे करोगी तो यही होगा मैडम!

मैं उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई।

जसवन्त ने मुझे खड़ा किया और मेरी नाप लेनी शुरू कर दी।
इस बहाने वह अच्छे से मुझे परख रहा था।

जसवन्त- हम्म, पसन्द बढ़िया है आशुतोष की, बिल्कुल टॉप क्लास!
अपनी तारीफ सुनकर मैं कुछ न बोली।

जसवन्त ने मेरी कमर में इंची टेप डाला और मुझे अपनी ओर खींच लिया।
उससे सटते ही मुझे उसका लंड उसके पजामे में महसूस हो गया था।

हाय, उसका लंड तो आशुतोष भाई से ज्यादा बड़ा था।

फिर उसने मेरे नितम्बों पर हाथ फेरा और कहा- नीचे की भी नाप लेनी है। साड़ी में ठीक से नहीं आयेगी।

मैं समझ गई कि उसका मतलब क्या है।
मैंने साड़ी उतार दी और उसके सामने पेटीकोट ब्लाउज में आ गई।

जसवन्त ने फिर से नाप ली और कहा- बड़ा मादक फिगर है आपका। लगता है आजकल पीछे बहुत मेहनत करनी पड़ रही है।
मैं बोली- जी ऐसा कुछ नहीं है, वो बस ऐसे ही!

जसवन्त ने कहा- मैडम, मुझे सब पता है कि करवा चौथ आपने कैसे और किसके साथ मनाया। इसलिए छिपाने का कोई फायदा नहीं। यूं तो हमने आपका हसीन जिस्म फोटो में देखा था लेकिन जो मजा सामने से मिलकर लेने में है, वो और कहां?

मैं घबरा गई और मुझे समझ आ गया था कि आशुतोष भाई ने मेरी सारी बातें जसवन्त को बता दी हैं और मेरी प्राइवेट फ़ोटो भी जसवन्त को दिखाई हैं।

जसवन्त ऐसे तो हर तरह से हॉट था और मैं उसके साथ लेटने की ख्वाहिशमंद हो गई थी लेकिन मेरी बातें खुलने के बाद मैं समझ गई थी कि अब नाटक करने का कोई फायदा नहीं है और इस वक्त सेक्स करना खतरे से खाली नही था।

मैंने कहा- मुझे माफ़ कर दीजिए जसवन्त भाई, लेकिन मेरी फोटो और किसी को न दिखाइएगा वरना मेरी इज्जत पर बन आयेगी।

जसवन्त ने मेरी परेशानी को समझा और मेरे कंधे पर हाथ रख कर कहा- अरे आप परेशान मत होइए मैडम! मैं आपकी सारी बातें प्राइवेट ही रखूंगा और आपकी इज्जत का ख्याल हमें बखूबी है। आप हमारी मेहमान हैं और आपकी इज्जत बचाना हमारा फर्ज है। मैं जबरदस्ती नहीं करूंगा. लेकिन आप आशुतोष के साथ अकेले अकेले मजे ले रही थी तो हमने सोचा कि क्यूं न हम भी आपकी खुशी में शरीक हो जाएं. मैं आपको आशुतोष से ज्यादा मजा दूंगा इसका वादा है।

मैंने सिर्फ शुक्रिया कहा तो जसवन्त भाई ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
जसवन्त- शुक्रिया की कोई आवश्यकता है मैडम!
यह कहकर उसने मुझे गले लगा लिया और मैं भी उससे चिपट गई।

उसके बदन की भीनी खुशबू मेरी सांसों में समा रही थी और मैं पेटीकोट ब्लाउज में उसके साथ चिपकी हुई थी।

मुझे उसके पजामे का तनाव साफ महसूस हो रहा था।

उसने मेरी पीठ पर हाथ फेरा और कहा- मैडम, एक गुजारिश है आपसे!
मैंने कहा- जी कहिए?

जसवन्त भाई- आपके हुस्न को हमने फोटो में बहुत देख लिया, अब सामने से देखने की ख्वाहिश है।
मैं उसकी गुजारिश का मतलब समझ रही थी।

मुझे भी उसका बदन बहुत आकर्षक लग रहा था और वैसे भी मेरी सारी बातें जसवन्त भाई पहले से ही जानते थे इसलिए मैंने हामी भर दी।

मेरी इजाजत पाकर जसवन्त भाई ने मुझे एक काउंटर पर बिठा दिया और मेरे बाल खोल दिए।

मेरे बाल खोल कर उसने मुझे पीछे की तरफ झुका दिया जिससे मैं पीछे हाथ लगा कर संतुलन बना सकूं।

फिर उसने मेरे ब्लाउज के हुक खोलने शूरू कर दिए।
मेरे ब्लाउज को उतार कर वह ब्रा पर आया और उसने एक सेकंड में ही ब्रा का हुक खोल दिया।

मुझे अर्धनग्न कर के वज जरा पीछे हट कर खड़ा हो गया और मुझे जी भर कर निहारने लगा।
मैंने पूछा- क्या हुआ जसवन्त भाई, आपको अच्छा नहीं लगा क्या?

जसवन्त मेरे पास आया और मेरे स्तन को अपने हाथ में पकड़ कर रगड़ने लगा- अच्छा लगा मैडम, इसीलिए आपको निहार रहा हूं। खुदा ने बड़ी फुरसत में आपको तराशा है।
जसवन्त भाई के उर्दू भाषा के अल्फाज मेरी उत्तेजना बढ़ा रहे थे।

मैंने उसको शुक्रिया कहा तो उसने मुझे एक झटके में काउंटर से उतार दिया और नीचे बैठा दिया।

मैं घुटनों पर उसके सामने थी और वह मेरे सामने खड़ा हुआ था।

जसवन्त ने कहा- अब थोड़ा मजा भी ले लेने दो मैडम, आपके उरोज बेहद खूबसूरत लग रहे हैं। हम इन्ही को चोदना चाहते हैं।

यह कहकर जसवन्त भाई ने अपना पजामा नीचे कर दिया।
उसका तन्नया हुआ लंड मेरे सामने आ गया और जसवन्त ने मेरा सर पकड़ कर अपने लंड से लगा दिया।

उसका लंड आशुतोष भाई से भी बड़ा था और काफ़ी अजीब सा था। उसका आगे का हिस्सा काफ़ी खुला हुआ था। उसके आसपास बाल भी थे।

मैंने उसकी खुशबू ली और फिर अपने स्तनों को अपने हाथों का सहारा देकर ऊपर उठाया।

जसवन्त ने लंड मेरे स्तनों पर रख दिया तो मेरे अंदर सनसनी दौड़ गई।
उसने थूक कर मेरे स्तनों को गीला किया और फिर अपना लंड रगड़ने लगा।

मैं अपने हाथों से अपने स्तनों को दबाए हुए थी और जसवन्त अपने लंड को लगातार मेरी छाती पर रगड़ रहा था।

उसके अंडकोष मेरी छाती से टकरा कर थप थप की आवाज कर रहे थे।
जसवन्त भाई ने मेरे स्तनों को चूत समझकर चोदन करना शुरू कर दिया।

करीब 15 मिनट बाद उसका लावा फूट पड़ा।
उसका गर्म वीर्य झटकों के साथ निकल रहा था और काफ़ी गाढ़ा था।

मेरे स्तन उसके वीर्य के झटकों से गीले हो गए।

उसकी खुशबू अलग ही थी और मुझमें उत्तेजना जगा रही थी.
लेकिन वो दोपहर का वक्त था और दुकान में कोई भी आ सकता था इसलिए मैंने अपनी भावनाओं को नियंत्रित किया।

मैंने उसके वीर्य को अपने स्तनों पर मला और फिर जसवन्त ने मुझे खड़ा किया।

जसवन्त- मैडम, आशुतोष की पसन्द बहुत नायाब है। आप उसे कितना खुश करती होंगी यह सोचकर ही मेरा दिल उछलने लगता है।

उसके बाद मैं उठी और अपने कपड़े संभालने लगी।
जसवन्त भी हांफने लगा था ।
शायद बड़े दिन बाद गर्मी निकली थी उसकी।

जसवन्त ने अपने कपड़े संभाले और फिर मुझसे कहा- मैडम, ऐसी चोली सिलूंगा कि सब आपको ही देखेंगे। कल आशुतोष के हाथ भिजवा दूंगा।
मैंने उसको थैंक यू कहा और फिर कपड़े पहन कर घर आ गई।

अगले दिन शाम को आशुतोष भाई मेरे घर आए और उसने मुझे मेरे लहंगा चोली की डिलीवरी कर दी।

क्योंकि मेरा बेटी चारु घर पर ही थी इसलिए मैंने उसको अन्दर नहीं बुलाया और ब्लाउज की डिलीवरी लेकर उसको वापस भेज दिया।

मैंने खोल कर देखा तो उसकी बोल्डनेस देख कर हैरान रह गई।
डीप नेक ब्लाउज और पीछे सपोर्ट के लिए सिर्फ दो डोरियां थीं।

उसका गला और डिजाइन ऐसा था कि मैं नीचे ब्रा भी नहीं पहन सकती थी।
मेरा गला काफ़ी खुला था इसलिए मैंने एक झीना दुपट्टा भी डाल लिया जिसने मेरे लुक को और भी खूबसूरत बना दिया।

मैंने मन ही मन उसका धन्यवाद किया और ड्रेस पहन कर शादी में पहुंच गई।

मैं अकेली ही कार से निकली थी और घर पर चारु को बताया था कि मुझे आने में देर हो जाएगी।
मैंने उसे अपनी एक दोस्त के यहां छोड़ दिया और फिर निकल पड़ी पार्टी की ओर!

पार्टी में तो सबकी नजरें मेरे ऊपर ही थी।
मर्द और औरतें सब मुझे ही देखे जा रहे थे।

मेरा गोरा मखमली चांदी सा बदन उस ड्रेस में बहुत कामुक लग रहा था।

मेरी नंगी पीठ और अधखुले स्तन सबके आकर्षण का केंद्र थे।
फिर मैंने अपनी सहेलियों के साथ फ़ोटो खिंचाई और फिर हल्का सा नाश्ता किया।

तब मैंने जसवन्त भाई को कॉल किया।
जसवन्त ने फोन उठाते ही कहा- कहिए मैडम, पार्टी कैसी चल रही है?

मैंने कहा- यहां तो आग लगी पड़ी है, सब मुझे ही घूर रहे हैं। शुक्रिया आपका, हमें इस तरह सजाने के लिए!

जसवन्त ने कहा- शुक्रिया. आप किसी और तरीके से भी कर सकती हैं, जिसमें मुझे भी मजा आए!
मैंने कहा- वो कैसे?
जसवन्त- आज की हसीन रात हमारी बाहों में बिताकर!

मैंने कहा- इस पार्टी में काफ़ी लोग हैं, यहां मिलना मुमकिन न होगा।
जसवन्त ने कहा- मेरी दुकान पर आ जाइए, मैं अभी यहीं हूं, और फिर हम आपके घर चलेंगे।

मैंने कहा- घर पर मेरा बेटा है, कहीं कोई दिक्कत हो गई तो?
जसवन्त- उसकी फिक्र आप न करें, मैं सब संभाल लूंगा।

मैंने उन्हें ओके कहा और फिर पार्टी से कार लेकर लेडीज़ टेलर सेक्स के लिए निकल गई।

गेस्ट हाउस से मार्केट ज्यादा दूर नहीं था।
मैं मार्केट पहुंची तो देखा कि जसवन्त अपनी दुकान के बाहर खड़ा है।

मैंने कार का हॉर्न बजा कर उसे इशारा किया और वह अंदर आ गया।

जसवन्त ने आते ही मेरे होंठों को चूमा और फिर दरवाज़ा बंद किया।

मैंने कार स्टार्ट कर दी और फिर हम मार्केट से निकल कर घर की तरफ चल दिए।

मेरा घर मार्केट से करीब 10 किलोमीटर दूर था।

रास्ते में जसवन्त भाई ने कार रुकवाई.
मैंने कहा- यहां क्यों रुके हैं आप जसवन्त भाई?”
जसवन्त ने एक दो सौ की नोट निकाली और फिर मुझसे कहा- मैडम, सामने मेडिकल स्टोर है, उससे दो पैकेट कॉन्डम और एक अनवांटेड ले आइए।
फिर वो नोट उसने मेरे ब्लाउज में डाल दिया।

मैंने कहा- जसवन्त भाई, मैं औरत हूं, मैं भला कैसे ये सब करूंगी? मुझसे नहीं होगा।
जसवन्त भाई- अरे मैडम, इतना शर्माएंगी तो हमारी बाहों मे कैसे आयेंगी? आशुतोष तो कहता था कि आप बिल्कुल भी नहीं शर्माती। जाइए हम आपका इन्तजार कर रहे हैं।

मैंने भी सोचा कि चलो ट्राई करते हैं।
मैं मेडिकल स्टोर पहुंची, रात काफ़ी हो गई थी इसलिए सन्नाटा था।
मेडिकल स्टोर पर एक लड़का था, उम्र करीब 25 साल होगी उसकी।

उसने मुझे ऊपर से नीचे तक घूरा।
मेरी डीप नेक चोली में मेरे क्लीवेज साफ झलक रहे थे।
स्टोर वाला- क्या चाहिए मैडम?
मैंने थोड़ा संकोच से कहा- एक अनवांटेड 72 दे दो।

उसने मुझे टैबलेट दी और फिर मैंने कहा- जरा दो पैकेट वो दे दो।

लड़का समझदार था लेकिन उसे भी मजे लेने थे।
उसने पूछा- वो क्या मैडम, मैं समझा नहीं?
मैंने इधर उधर देखा और मुस्करा कर कहा- कॉन्डम!
लड़का भी मुस्करा दिया और कहा- कौन सा दूं मैडम, चॉकलेट या बनाना?
मैंने कहा- दोनों दे दो।

उसने मुझे दो पैकेट कॉन्डम लेकर दिए और फिर एक टैबलेट दी।
वो लाल रंग की थी।
मैंने पूछा- ये क्या है?
वो बोला- ले जाइए मैडम, भाई साहब को खिला दीजियेगा, रात यादगार हो जाएगी।

मैंने अपने चोली से नोट निकाली और उसकी तरफ़ बढ़ाई तो उसने कहा- आपकी चोली बहुत सैक्सी है मैडम!
मैं कुछ नहीं बोली।

उसने मुझे गुड नाईट बोला और मैं कार में जा बैठी।

मैंने वो सारी चीजें जसवन्त भाई को दी और जसवन्त ने उस लाल टैबलेट को खा लिया।
फिर हमारी गाड़ी आगे बढ़ी।

मैंने जसवन्त को हिदायत दी थी कि जब तक मैं कार अंदर न कर लूं वो बाहर न आएं।
ऐसा ही किया उसने!

मैंने गैराज में कार पार्क कर दी और जसवन्त बाहर आया।

मैंने कहा- आप रुकिए, मैं बच्ची को ले आती हूं।

फिर मैं अपनी सहेली के घर गई और बेटे को वापस ले आई।

घर आकर उसने जसवन्त को देखा तो पूछा- मॉम, ये कौन है?
मैंने कहा- ये अंकल हैं बेटा, अभी ये घर चले जायेंगे, इनसे नमस्ते करो।

उसने जसवन्त भाई को नमस्ते किया और फिर जसवन्त ने उसे चॉकलेट दी।
फिर मैं उसे बेडरुम ले गई और ले जाकर सुला दिया।

तो दोस्तो, कैसी लग रही है आपको यह लेडीज़ टेलर सेक्स स्टोरी?

अगला भाग: टेलर मास्टर से ब्लाउज सिलवाया – 2

मम्मी से ज्यादा मुझे चोदते हैं मेरे पापा

आज मैं आपको अपनी अन्तर्वासना की कहानी यानी बाप बेटी की सेक्स कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर सुनाने जा रही हूँ। ये मेरी पहली सेक्स कहानी है। मैं पहली

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